भिलाई। हाल ही केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि देश के भिखारियों को कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षित कर रोजगार-स्वरोजगार मुहैया कराया जाएगा..। आइये अब भिलाई चलते हैं। इस्पात नगरी के रूप में विख्यात छत्तीसगढ़ के । दिमाग में बस दो ही शब्द गूंजते रह जाएंगे- ‘कौशल विकास’। दबंगई से रहते हैं.. । भिलाई के भिखारियों के गजब कौशल की यह पूरी कहानी सौ फीसद सच है। यह दावा हम नहीं कर रहे बल्कि खुद भिलाई स्टील प्लांट (बीएसपी) ने पिछले दिनों अपने सीमा क्षेत्र में भीख मांगने वालों की जांच-पड़ताल कर यह जानकारी जुटाई है। बीएसपी के जन स्वास्थ्य अधिकारी सीनियर मैनेजर के.के. यादव ने बताया कि इस सर्वे में यह सारी बातें निकलकर आई हैं। बीएसपी ने माना है कि इनमें से कुछ भिखारियों ने सेक्टर-7 में कुछ क्वार्टरों पर कब्जा भी किया हुआ है।
भिलाई में भिखारियों का जबरदस्त टशन है
मजाल है कि कोई इनसे बदतमीजी कर ले। कुछ तो इतने दबंग हैं कि भिलाई इस्पात संयंत्र (बीएसपी) के क्वार्टरों पर भी कब्जा जमा रखा है। बीएसपी हॉस्पिटल परिसर स्थित हनुमान मंदिर व नगर का साईं मंदिर इस लिहाज से ज्यादा कमाई वाले स्थान माने जाते हैं। यहां बैठने वाले भिखारी काफी मालदार हैं। किसी नए भिखारी के लिए यहां जगह बनाना आसान नहीं।
बैंक-बैलेंस, मकान, गहने सब कुछ है..
इन भिखारियों में से कई का अपना अच्छा खासा बैंक बैलेंस भी है। ये अपना स्टेटस भी खूब मेंटेंन करते हैं। शादी-ब्याह हो या तीज-त्योहार, इनके ठाट देखते ही बनते हैं। यहां के कई भिखारी दो मंजिला मकानों के मालिक हैं।
रखते हैं स्मार्ट फोन..
स्मार्ट फोन वाले भिखारियों की संख्या भी कम नहीं है यहां। मैले-कुचैले कपड़ों व उलङो बालों वाले भिखारियों की जेबों में आम आदमी से कई गुना ज्यादा रुपए और महंगे फोन मिल जाएंगे।
ये पेशेवर भिखारी हैं..
ये दरअसल पेशेवर भिखारी हैं। जो भिखारी का वेश धारण कर जमकर भीख बटोरते हैं। रोजाना 500 रुपए की कमाई बड़ी सामान्य बात है, औसतन 1200 से 1500 रुपए व मंगलवार व शनिवार को ढाई से तीन हजार रुपए तक कमाने वाले भिखारी यहां खूब मिलेंगे। एक भिखारी ने ही बताया कि यहां के बहुत से भिखारियों के पास इतने रुपए हैं कि आराम से अच्छा खा-पहन सकते हैं, लेकिन यदि ऐसा करेंगे तो धंधा बंद हो जाएगा। ऐसे में यह वेशभूषा मजबूरी है।
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