आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर लॉन्च होने वाला चंद्रयान -3 भारत का तीसरा चंद्र मिशन है. यह 2019 के चंद्रयान -2 मिशन का हिस्सा है. 2019 में लैंडर और रोवर चंद्रमा पर सॉफ्ट-लैंडिंग नहीं कर पाया था जिस वजह से ये मिशन फेल हो गया था.
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक इसरो के अधिकारियों का कहना है कि चंद्रयान -3 अपने लॉन्च के लगभग एक महीने बाद चंद्र कक्षा में पहुंचेगा. इसके लैंडर, विक्रम और रोवर के 23 अगस्त को चंद्रमा पर उतरने की संभावना है. खास बात ये है कि मिशन चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट लगभग चंद्रयान -2 के समान (70 डिग्री ) है. अगर सब कुछ ठीक रहा तो चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का पहला मिशन बन जाएगा.
चंद्रमा पर उतरने वाले पिछले सभी अंतरिक्ष यान भूमध्यरेखीय क्षेत्र में उतरे हैं. भूमध्य रेखा से कोई भी अंतरिक्ष यान सबसे दूर गया यान सर्वेयर 7 था. इसने 10 जनवरी 1968 को चंद्रमा पर लैंडिंग की थी. यह अंतरिक्ष यान 40 डिग्री दक्षिणी अक्षांश के पास उतरा था. चंद्रमा पर अब तक की सभी लैंडिंग भूमध्यरेखीय क्षेत्र में हुई हैं. यहां तक कि चीन का चांग’ई 4, जो चंद्रमा के दूर उतरने वाला पहला अंतरिक्ष यान बना था. चंगा’ई 4, 45 डिग्री अक्षांश के पास उतरा था.
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