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Sri Lanka Crisis: श्रीलंका में मचा हाहाकार देश दिवालिया होने की कगार पर, दवाएं खत्म, 1 कप चाय 100 रुपये की,मिर्च 700 रुपये kg,पेट्रोल के लिए दो-दो किमी लंबी लाइनें

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कोलंबो । पड़ोसी देश श्रीलंका में देश के विदेशी मुद्रा संकट के बीच पेट्रोलियम की कीमतें आसमान छू गई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीलंका की सरकार के पार पेट्रोल और डीजल खरीदने के लिए विदेशी मुद्रा नहीं बची है जिससे ये संकट और भी गहरा गया है। अस्पतालों में हाहाकार मचा हुआ है। दवाएं खत्म होने से डॉक्टर्स ने मरीजों का ऑपरेशन रोक दिया। कुछ दिनों पहले श्रीलंका से ऐसी तस्वीरे आईं कि लोग पेट्रोल खरीदने के लिए पेट्रोल पंप पर टूट पड़े हैं और लोगों को नियंत्रित करने के लिए सेना बुलानी पड़ी। हजारों लोग घंटों तक कतार में इंतजार करके तेल खरीद रहे हैं। पेट्रोल से भी महंगा दूध बिक रहा है। देश में डॉलर की कमी ने सभी क्षेत्रों को प्रभावित किया है। देश में फरवरी में महंगाई 17.5 प्रतिशत के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई जो कि पूरे एशिया में सबसे ज्यादा है। 

एक कप चाय की कीमत 100 रुपये हो गई है।मिर्च 700 रुपये किलोग्राम बिक रही है। एक किलो आलू के लिए 200 रुपये तक चुकाने पड़ रहे। फ्लूल की कमी का असर बिजली उत्पादन पर भी पड़ा है। अब कई शहरों में 12 से 15 घंटे तक बिजली कटौती हो रही है। ऐसी स्थिति में भारत ने फौरी तौर पर श्रीलंका को एक अरब डॉलर की मदद दिया है। इसके बाद जो हालात बने उसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि देश में एक किलो मिर्च की कीमत 710 रुपये हो गई, एक ही महीने में मिर्च की कीमत में 287 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

यही नहीं  बैंगन की कीमत में 51 फीसदी बढ़ी,  तो प्याज के दाम 40 फीसदी तक बढ़ गए। एक किलो आलू के लिए  200 रुपये तक चुकाने पड़े। यही नहीं, एक लीटर पेट्रोल की कीमत 254 रुपए है, जबकि एक लीटर दूध 263 रुपये में बिक रहा है। लोगों को एक ब्रेड का पैकेट भी 0.75 डॉलर (150) रुपये में खरीदना पड़ रहा है। यहीं नहीं एक किलोग्राम चावल और चीनी की कीमत 290 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है। मौजूदा समय में एक चाय के लिए लोगों के 100 रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं। 

रिपोर्ट की मानें तो श्रीलंका में कुकिंग गैस और बिजली की कमी के चलते करीब 1,000 बेकरी बंद हो चुकी हैं और जो बची हैं उनमें भी उत्पादन ठीक ढंग से नहीं हो पा रहा है। लोगों को एक ब्रेड का पैकेट भी 0.75 डॉलर (150) रुपये में खरीदना पड़ रहा है। यहीं नहीं एक किलोग्राम चावल और चीनी की कीमत 290 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है। मौजूदा समय में एक चाय के लिए लोगों के 100 रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं। 

 बता दें कि देश की अर्थव्यस्था के बर्बादी की कगार पर पहुंचने के लिए एक कारण देश में पर्यटन उद्योग का पतन है। बता दें कि कोरोना महामारी के कारण देश की जीडीपी में अहम योगदान देने वाला श्रीलंका का पर्यटन क्षेत्र पहले से ही संकट के दौर से गुजर रहा था, जो अब तक उबर नहीं सका है। टूरिज्म इंडस्ट्री का देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में लगभग 10 प्रतिशत का योगदान है।

विश्व बैंक की ओर से बीते साल अनुमान जताया गया था कि कोरोना महामारी के शुरू होने के बाद से देश में 500,000 लोग गरीबी के जाल में फंस गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, जो परिवार पहले संपन्न माने जाते थे, उनके लिए भी दो जून की रोटी जुटानी मुश्किल पड़ रही है। देश के अधिकांश परिवारों के लिए अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने लाले पड़े हैं। देश में आर्थिक आपातकाल की स्थिति के बीच यात्रा और पर्यटन क्षेत्र में ही करीब दो लाख से ज्यादा लोगों का रोजगार खत्म हो चुका है और यही हालात दूसरे क्षेत्रों में बने हुए हैं। 

मुद्रास्फीति का रिकॉर्ड स्तर, खाद्य पदार्थों की कीमतों में उछाल और कोरोना महामारी से पैदा हुई परेशानियों के कारण देश के खजाने सूख रहे हैं। हालात यहां तक खराब हो चुके हैं कि इस देश के इस साल दिवालिया होने की आशंका है। एक पूर्व रिपोर्ट में कहा गया है कि देश को अगले कुछ महीनों में घरेलू और विदेशी ऋणों में अनुमानित 7.3 अरब डॉलर चुकाने की जरूरत है, जबकि उसके पास देश चलाने के लिए भी पैसे नही बचे हैं। 

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