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Morning Mantra: सुबह इन मंत्रो के जाप से मिलता है हर समस्या से छुटकारा

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डेस्क | Morning Mantra: सनातन धर्म में मंत्र जाप का विशेष महत्व होता है। धर्म शास्त्रों में मंत्र जाप के जरिए ईश्वर प्राप्ति का विधान होता है। अतः साधक प्रतिदिन पूजा और आरती के समय मंत्र जाप कर अपने आराध्य को प्रसन्न भी करते हैं।
कई लोग मंत्र जाप कर भगवान की तपस्या करते हैं। दैवीय काल में ऋषि-मुनि मंत्र जाप कर त्रिदेव और आदिशक्ति की कठिन तपस्या भी करते थे। उनकी कठिन भक्ति से प्रसन्न कर त्रिदेव उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण भी करते थे। धार्मिक मान्यता है कि मंत्र जाप से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और साथ ही साधक को आध्यात्मिक और आत्मिक शक्ति प्राप्त होती है। मंत्र जाप से ईश्वर प्रसन्न भी होते हैं। 
उनकी कृपा से सभी जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं और सााधक को मानसिक तनाव से भी छुटकारा भी मिलता है। अगर आप भी अपने जीवन में सफल इंसान बनना चाहते हैं, तो दिन की शुरुआत इन शक्तिशाली मंत्रों से करें और इन मंत्रों के जाप से करियर और कारोबार में मन मुताबिक सफलता मिलती है। इसके साथ ही घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली भी आती है। आइए इन मंत्रो का जाप करें-
1.
कराग्रे वसति लक्ष्मीः कर मध्ये सरस्वती।
करमूले तू ब्राह्म, प्रभाते कर दर्शनम्‌।।
2.
त्वमेव माता च पिता त्वमेव,त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।
त्वमेव विद्या च द्रविणं त्वमेव,त्वमेव सर्वम् मम देवदेवं।।
3.
ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी,भानुः शशी भूमिसुतो बुधश्च ।
गुरुश्च शुक्रः शनिराहुकेतवः,कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ॥
4.
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर ।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तुते ॥
5.
समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमण्डले ।
विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्वमे ॥
6.
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्यः धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥
7.
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्‍बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्‍धनान् मृत्‍योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ !!
8.
मनोजवं मारुततुल्यवेगमं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये।।
9.
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥
10.
शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम् ।
प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये ॥

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