Home politics क्यों गरीब की भूख बनी राजनीति का सबसे बड़ा हथियार

क्यों गरीब की भूख बनी राजनीति का सबसे बड़ा हथियार

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देश– केंद्र सरकार गरीबी रेखा के नीचे आने वाले लोगों को गरीब कल्याण योजना के तहत मुफ्त राशन मुहैया करवाती है। बीते दिनों में इस योजना की अवधि एक वर्ष बढ़ा दी गई। इस योजना के तहत हर महीने प्रति व्यक्ति 5 किलो राशन मुफ्त दिया जाता है। आज देश के करीब 81.35 करोड़ लोग केंद्र की इस योजना का लाभ उठा रहे हैं।

इस योजना की शुरुआत केंद्र सरकार ने कोरोना काल के दौरान की थी। क्योंकि उस वक्त लोग बेरोजगार हो गए थे। प्रतिबंध के कारण उनके पास रोजगार नहीं था और केंद्र सरकार का लक्ष्य था कि कोई भी भूखा न सोए। लेकिन अब जब कोविड खत्म हो गया है और सभी प्रतिबंध हट गए हैं। तब भी इस योजना के तहत लोगों को राशन दिया जा रहा है। जो अब सवालों के घेरे में है। 
विपक्ष का कहना है कि केंद्र सरकार लोगों को मुफ्तखोरी की आदत लगा रही है और रोजगार से बचने के लिए उन्हें मुफ्त राशन देखर अपना गुलाम बना रही है। वहीं कई लोगों का दावा है कि सरकार ने योजना की अवधि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के परिपेक्ष्य में बढाई है।
विपक्ष का कहना है कि देश मे 20 करोड़ लोग ही गरीबी रेखा के नीचे हैं तो फिर 81.35 करोड़ लोगों को मुफ्त भोजन देना। केंद्र सरकार का राजनीतिक स्वार्थ है। सरकार शिक्षा, रोजगार और अन्य जरूरी चीजों के मध्य कटौती करने लोगों को मुफ्त राशन बांट रही है और उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है।

क्या है मुफ्तखोरी की सियासत-

भारत सबसे बड़े लोकतंत्र वाला देश है। भारत के लोग स्वतंत्र हैं उनके पास अपना जीवन अपने मुताबिक जीने का अधिकार है। लेकिन भारत की राजनीति सदैव गरीबों के इर्द गिर्द घूमती नजर आई है। राजनेता कितना भी समाज सेवी हो उसने अपने स्वार्थ के लिए गरीब की भूख को अपना निशाना बनाया है।
इंदिरा गांधी ने गरीबी हटाओ के बलबूते पर जनता का दिल जीतकर कई वर्षों तक देश पर राज किया। वहीं अब बीजेपी सरकार ने भी गरीबों की भूख को अपना हथियार बनाया। कोविड काल को सरकार ने कहीं न कहीं अपने स्वार्थ के लिए उपयोग किया और लोगों को मुफ्त राशन मुहैया करवाकर उन्हें अपनी ओर आकर्षित कर लिया।
अब आज स्थिति यह है कि कोरोना से निजात मिल गया। लोग अपने काम पर वापस चले गए हैं। लेकिन गरीबी रेखा के नीचे वाले लोगों को सरकार द्वारा मुफ्त राशन निरंतर मुहैया करवाया जा रहा है। राशन देने की अवधि बढाकर अब सरकार कहीं न कहीं इसके बलबूते पर अपना राजनीतिक स्वार्थ भी साध रही है और लोगों को आकर्षित भी कर रही है।

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