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कुशीनगर में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना मे करोडो का घोटाला,कन्याओं का धन डकार गया जिला पंचायत

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उपेंद्र कुशवाहा

पडरौना,कुशीनगर। मुख्यमंत्री सामुहिक विवाह योजना के तहत सात फेरे लेने वाली कन्याओं के खाते मे भेजी जाने वाली करोड़ो रुपये जिला पंचायत द्वारा डकार लिए जाने का मामला प्रकाश मे आया है। इतना ही नही जिला मुख्यालय पर संपन्न करायी गयी सामुहिक विवाह कार्यक्रम का ई-टेण्डरिंग कराये बिना ही अधिकारियो ने अपने चहेतो को ठेका देकर न सिर्फ शासनादेश को ताक पर रखकर लाखो रुपये का गोलमाल किया है बल्कि सरकार के भष्टाचार मुक्त दावे को भी खोखला साबित करने मे जुटे है। चर्चा-ए-सरेआम है कि सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट मे शुमार “मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना” के तहत कुशीनगर जनपद मे अब तक कराये गये सामूहिक विवाह समारोह की जांच करा दी जाए तो कई करोड़ रुपये के घोटाले सामने आ सकते है।

बेशक: सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट मे शुमार मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह नेकनियती से शुरू की गई एक जनकल्याणकारी योजना है जिससे गरीब परिवार को अपनी बेटी के हाथ पीले करने मे काफी हद तक सहूलियत मिल रही है। यही वजह है कि सूबे की सरकार सामूहिक विवाह योजना पर पानी की तरह रुपया बहा रही है। किन्तु अफसोस इस योजना का लाभ जरूरतमंदो को पहुचाने के बजाये अधिकारी अपनी तिजोरी भरकर सरकार का छिछालेदर करने मे लगे है।
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सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट का क्या है उद्देश्य
गौरतलब है कि कन्या भ्रूण हत्या पर अंकुश लगाने व लड़कियों की स्थिति बेहतर करने, बाल विवाह पर रोक लगाने, शिक्षा को बढ़ावा देने, दहेज कुप्रथा को खत्म करने तथा आर्थिक रूप से कमजोर परिवार को सम्मान के साथ उनकी बेटियो की शादी कराना ही इस योजना का एक मात्र उद्देश्य है। इस उद्देश्य को सार्थक रुप मे लाने के सूबे के मुखिया ने ” मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना” का शुभारंभ किया है।
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ढाई माह बाद भी नही पहुचा कन्याओं के खाते 35 हजार रुपये
कहना न होगा कि जिला पंचायत द्वारा सार्वजनिक रूप से दी गई जानकारी के मुताबिक बीते वर्ष 14 नवंबर-2019 को जिला मुख्यालय स्थित बुद्धा पार्क मे 341 जोडो की शादी मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत जिला पंचायत की देखरेख मे संपन्न करायी गयी है। मीडिया कबरेज मे भी 341 जोडे का विवाह संपन्न होने की जानकारी जिला पंचायत ने सार्वजनिक मंच से दिया था। यहा बताना जरूरी है कि मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह का आयोजन समाज कल्याण विभाग द्वारा कराने का प्रविधान है किन्तु अब तक कुल पांच सामूहिक विवाह का आयोजन जिला पंचायत द्वारा जिलाधिकारी के निर्देश पर किया गया है ऐसा जिला पंचायत के जिम्मेदारो का कहना है।
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आरटीआई मे खुलासा हुआ
302 शादियां समाजिक कार्यकर्ता विजय शुक्ला ने जन सूचना अधिकार के तहत 14 नवंबर-2019 को संपन्न हुए शादी का सम्पूर्ण विवरण की मांग की तो जिला पंचायत ने कुल शादियों का सूची उपलब्ध कराते हुए मौके पर कुल 302 जोडो का शादी संपन्न होने की सूचना श्री शुक्ल को उपलब्ध कराया है। ऐसे मे सवाल उठना लाजमी है कि जिला पंचायत द्वारा जब 302 जोडे का ही विवाह संपन्न कराया गया था तो फिर सार्वजनिक तौर पर और मीडिया मे 341जोडो का विवाह क्यो दिखाया गया ? इस फर्जी संख्या के पीछे आयोजकों की मंशा क्या थी? 39 जोडे की संख्या फर्जी तरीके से बढाकर उस पर व्यय होने वाले सरकारी धन 19 लाख 89 हजार रुपये का विभाग क्या करने वाला था। विभागीय सूत्रो माने तो समाचार पत्रों मे प्रकाशित ” 341 जोडे का विवाह संपन्न ” संबंधित खबरों की क्लिपिंग लगाकर जिला पंचायत के जिम्मेदार फर्जी 39 जोडे की कुल धनराशि 19 लाख 89 हजार रुपये सीधे तौर पर हजम करने के फिराक मे थे।
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किया जा रहा है मामले को लीपापोती करने का प्रयास
गौरतलब है कि ” मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह ” योजना के तहत शासन की ओर से प्रत्येक जोड़े पर खर्च करने के लिए 51 हजार रुपये निर्धारित किया गया है। इसमे दस हजार रुपये वर-वधु के लिए सामान, 35 हजार रुपये कन्या को उसके खाते मे देने व 6 हजार रुपये की धनराशि विवाह समारोह पर खर्च करने के लिए तय किया गया है। बताया जाता है की शासन के गाइडलाइन के बावजूद जब जिला पंचायत द्वारा “सामुहिक विवाह योजना ” मे शामिल तीन सौ दो कन्याओं के खाते मे निर्धारित धनराशि (प्रति कन्या 35 हजार रुपये) कन्याओं के खाते मे नही भेजी गई तो सामाजिक कार्यकर्ता विजय शुक्ला ने जिला पंचायत की कारगुजारी से जिलाधिकारी डा0 अनिल कुमार सिंह को अवगत कराते हुए शिकायती पत्र सौपा। श्री शुक्ल ने आरोप लगाया कि जिला पंचायत द्वारा अब तक निर्धारित धनराशि कन्याओं के खातो मे न भेजकर स्वयं करोडो रुपये डकार लिया गया है। इसके अलावा बिना ई-टेण्डरिंग कराये अपने चहेतो को टेंट, कुर्सी और विवाह मे वर-वधु को दिये जाने वाले समानो की खरीदारी का ठेका दिया गया है जो नियम विरुद्ध व भष्टाचार को घोतक है। बताया जाता है कि श्री शुक्ल के शिकायत को गम्भीरता से हुए जिलाधिकारी डा0अनिल कुमार सिंह ने सीडीओ को जांच करके कार्रवाई करते हुए एक सप्ताह के भीतर आख्या प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। इतना ही नही शिकायतकर्ता श्री शुक्ल ने इस प्रकरण की शिकायत कमीश्नर व मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी किया है। बावजूद इसके जांच अधिकारी मामलो को लीपापोती कर दोषियों को बचाने मे जुटे है।
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जिला पंचायत ने अवैध तरीके से अपने चहेतो को दिया 50 लाख का ठेका
कहना न होगा कि शासन के गाइडलाइंस के मुताबिक 10 लाख से अधिक कोई भी निर्माण, जाब, वर्क, सामान खरीदारी आदि के लिए ई टेण्डरिंग प्रणाली के तहत निविदा आमंत्रित किया जाना अनिवार्य है। ऐसे मे जिला पंचायत द्वारा आरटीआई मे दी गयी संख्या 302 जोडे को ही ध्यान मे रखे। (जब कि कार्यक्रम के दिन 341 जोडे का विवाह सार्वजनिक किया गया है) जिस पर प्रति विवाहित जोडो के सामानो की खरीदारी के लिए विभाग ने 8,600 रुपये निर्धारित किया है इस तरह 302 जोडे पर कुल 2597200 व्यय होना दिखाया गया है जबकि टेंट, कुर्सी आदि पर 5 हजार रुपये की दर 1510000 खर्च किया गया है। मजे की बात यह है दोनो कार्यो पर खर्च होने वाली सरकारी धन 10 लाख से अधिक है। ऐसे मे सवाल उठता है कि ई टेण्डरिंग निविदा क्यो नही कराया गया?
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इनको मिला ठेका
जगजाहिर है कि किसी भी निर्माण,जाब,खरीददारी आदि पर 10 लाख रुपये से अधिक सरकारी धन खर्च किये जाने की दशा मे सामान्य निविदा किसी भी परिस्थिति मे मान्य नही है इसके लिए शासन द्वारा ई-टेण्डरिंग निविदा की व्यवस्था की गयी है। इसके बावजूद अपने मनबढ रवैया से बाज न आते हुए जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी ने सामान्य निविदा के तहत अपने चहेते कान्टेक्टर दुर्गा पाण्डेय के फर्म पाण्डेय इन्टरप्राइजेज को 8600 रुपये प्रति जोडे की दर से 302 जोडो के विवाह संस्कार के सामग्रियों की 2597200 रुपये मे खरीदारी करने जिम्मेदारी सौपा है जबकि 302 जोडो के सामूहिक कार्यक्रम आयोजन के लिए टेंट, कुर्सी आदि पर व्यय करने के लिए प्रति जोडे 5 हजार रुपये की दर से 15 लाख 10 हजार रुपये का ठेका ताज साउण्ड एण्ड लाइट नामक फर्म के प्रोपराइटर सेराजुद्दीन को दे दिया है , जो न सिर्फ नियम विरुद्ध है बल्कि मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट सामूहिक विवाह मे ठेकेदार और अधिकारियों के मिलीभगत से व्यापक पैमाने पर किये गये धन का बन्दरबाट का जीता जागता प्रमाण है।
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सब गोलमाल है
कहना है कि मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजनान्तर्गत 14 नवंबर-2019 को कुशीनगर जनपद मे 351 जोडो के विवाह संपन्न कराने की गरज से निदेशालय समाज कल्याण उ0प्र0 ने 6 नवम्बर – 2019 को समाज कल्याण विभाग कुशीनगर को दो करोड़ तेइस लाख अडत्तीस हजार रुपये आवंटित किया था। समाज कल्याण अधिकारी टीके सिंह ने जिलाधिकारी को पत्र के माध्यम से आवंटित धनराशि की जानकारी देते हुए बताया है कि अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत द्वारा पत्र संख्या-591 दिनांक 5-10-2019, पत्र संख्या – 607 दिनांक-15-10-2019, पत्र संख्या – 637 दिनांक – 24-10-2019, पत्र संख्या – 652 दिनांक 31-10-2019 द्वारा 14 नवंबर-2019 को सामूहिक विवाह का वृहद आयोजन 351 जोडे का विवाह संपन्न कराये जाने हेतु और पूर्व मे 10 जुलाई 2019 को संपन्न कराये गये सामूहिक विवाह मे 87 जोडो का अवशेष धनराशि की मांग की गयी है। अब सवाल यह उठता है 10 जुलाई-2019 को जिला पंचायत द्वारा संपन्न करायी गयी 191 जोडो का सामूहिक विवाह के दौरान 87 विवाहिताओ के खाते मे भी अब तक पैसा क्यों नहीं गया? सवाल यह भी उठता है कि जब शासन ने 104 जोडे का धन आवंटन किया था तो फिर 10 जुलाई-2019 को 191 जोडे का विवाह क्यो और कैसे हो गया? फिर तो कहना मुनासिब होगा कि ” सब गोलमाल है भाई गोलमाल है।” निसंदेह कुशीनगर जनपद मे संपन्न हुए सामूहिक विवाह की निष्पक्ष जांच करोडो के घोटाले की परत-दर-परत खोल देगी।

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