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कुशीनगर में केवल राजनीति मुद्दा बन कर रह गया पडरौना चीनी मिल को चलाने की कोशिश

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उपेंद्र कुशवाहा
पडरौना,कुशीनगर : भगवान बुद्ध की परिनिवार्ण स्थली के रूप विख्यात कुशीनगर को 2019 हमेशा प्रभावित करता हरेगा। जहां विकास की तमाम योजनाए आयीं और अब तक हमारी न बन सकीं। सपने पूरे होते-होते रह गये और वही पूरानी आशा लिए हम 2020 तक आ गये।
वर्ष 2019 के अलविदा और सपनो के अधूरे होने का गम बर्ष 2020 के जश्न में डूब गया है। जैसे-जैसे बर्ष 2020 गुजरेगा बैसे-बैसे कुछ पाने की आशा, फिर से कुशीनगर के हृदय में धड़कने लगेगी। राजनीति का मुद्दा बनने वाली पडरौना चीनी मिल के चलने की बात सपने तक ही रह गयी।
पडरौना चीनी मिल का सरकार द्वारा अधिग्रहण
पडरौना चीनी मिल वर्ष 2011 से बंद है। इस चीनी मिल पर किसान,मजदूर व विभिन्न वित्तीय एजेंसियों का कुल मिलाकर लगभग 70 करोड़ रुपए से भी अधिक का बकाया है । इतना ही नहीं बीते 5 वर्षों से इस चीनी मिल की नीलामी प्रक्रिया मुख्य गन्ना आयुक्त (क्रय) लखनऊ द्वारा जारी वसूली प्रमाण पत्र के आधार पर चल रही थी,मगर सक्षम खरीदार न मिलने से आजतक नीलाम भी न हो सकी है।
जबकि इस चीनी मिल के वर्तमान प्रमोटर जे०एच०वी०सुगर एण्ड डिस्टीलरीज प्रा०लि०और अन्य पूर्व प्रमोटर जैसे केन्द्रीय कपड़ा मंत्रालय,ब्रिटीश इंडिया कार्पोरेशन लि०तथा गंगोत्री इंटरप्राईजेज इसका स्वामित्व स्वीकार्य करने,दायित्व लेने,देयकों का भुगतान करने तथा चलाने से इंकार कर रहे हैं।
इस वजह से पडरौना चीनी मिल के चलने की आशा धूमिल एवं इससे से जुड़े हजारो गन्ना किसान व मजदूरों का भविष्य तथा उनके बकाया देयकों का भुगतान अधर में लटका हुआ है।
विकल्प व उपाय सिर्फ न्यायिक संघर्ष
पडरौना चीनी मिल को चलाने का एकमात्र विकल्प न्यायालय की शरण में जाकर इस चीनी मिल का सर्वप्रथम स्वामित्व व दायित्व निर्धारण कराना है।यदि न्यायालय द्वारा निर्धारित स्वामी इस चीनी मिल को चलाने में फिर असमर्थता व्यक्त करता है तो जनहित में उ०प्र०सरकार द्वारा पडरौना चीनी मिल का अधिग्रहण करके इसको चलाने का आदेश पारित कराना ही अंतिम उपाय शेष बचता है।

कुशीनगर सिविल सोसाइटी जनवरी 2020 के द्वितीय पक्ष में जनहित याचिका दायर करेगी

कुशीनगर सिविल सोसाइटी इस संदर्भ में विधि विशेषज्ञों से पडरौना चीनी मिल के स्वामित्व /दायित्व निर्धारण-सरकारी अधिग्रहण तथा इस चीनी मिल में केन्द्रीय सरकार व संस्थाएं भी एक पक्षकार हैं अत: सक्षम न्यायिक अधिकार क्षेत्र(उच्च न्यायालय अथवा उच्चतम न्यायालय) के चुनाव संबंधी विधिक संभावनाओं एवं उपचारो पर विचार वार्ता कर रही है,जो अंतिम चक्र में है । एसे में सब कुछ ठीक रहा तो सिविल सोसाइटी जनवरी 2020 के द्वितीय पक्ष में जनहित याचिका दायर करेगी ।

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