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अजमेर का दर्द कैसे भूले हिन्दू:- मुस्लिम द्वारा 250 से ज्यादा हिन्दू लडकियों के बलात्कार पर जब मौन रही कांग्रेस

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Ajmer rape and blackmailing case:-

रेप नाम सुनते ही रूह कांप उठती है मन विचलित हो उठता है और अनेको सवाल हमारी अंतरात्मा को झझकोरने लगते हैं। कि कोई इतना निर्लज्ज निर्दयी कैसे हो सकता है कि अपने पुरुषार्थ की सिद्ध हेतु एक महिला के साथ इतना जघन्य कृत्य करे। घटना 1992 की है जब राजस्थान (Ajmer rape case) रेप नाम सुनते ही रूह कांप उठती है मन विचलित हो उठता है और अनेको सवाल हमारी अंतरात्मा को झझकोरने लगते हैं। कि कोई इतना निर्लज्ज निर्दयी कैसे हो सकता है कि अपने पुरुषार्थ की सिद्ध हेतु एक महिला के साथ इतना जघन्य कृत्य करे। घटना 1992 की है जब राजस्थान के अजमेर में सब ठीक ठाक चल रहा था कि अचानक से एक ऐसी घटना का खुलासा हुआ जिसने पूरे देश को खून के आंसू रुलाया। अजमेर सीरियल गैंग रेप और ब्लैकमेलिंग केस (In 1992, the Ajmer Serial Gang Rape & Blackmailing Case of Hindu girls was one of India’s biggest cases of coerced sexual exploitation). ऐसा कोई नहीं जो इस केस से परिचित न हो यह भारत ने महिलाओं के साथ दरिंदगी का सबसे बड़ा केस था। जिसमे सैकड़ों महिलाएं शामिल थी। 

घटना सन 1992 की है जिसने बलात्कार का घिनौना सच जनता के सामने लाकर रख दिया। जो भी इस घटना को सुनता उसकी आंखों से आंसू नहीं रुकते क्योंकि इस घटना में एक या दो नहीं अपितु सोफिया गर्ल्स स्कूल अजमेर की लगभग 250 से ज्यादा हिन्दू लडकियों का रेप किया गया था। उन हिन्दू लड़कियों को लव जिहाद में फंसाकर न केवल उनके साथ सामुहिक दुष्कर्म किया गया बल्कि उनमें से एक लड़की से उसकी फ्रेंड भाभी बहन आदि परिजनों को भी वहाँ लाने को कहा गया। दरिंदों में हिन्दू लड़कियों के साथ दुष्कर्म करने हेतु एक पूरे न्यूड सिस्टम का निर्माण किया था जिसमे वह हिन्दू लड़कियों को अश्लील तस्वीरे दिखाते थे उनके यौन शोषण की तस्वीरों के माध्यम से ब्लैकमेल करते थे और उनके साथ आय दिन दुष्कर्म करते थे।

जाने कौन था इन 250 हिन्दू लड़कियों के साथ दरिंदगी करने वाला और किसकी थी सत्ता:- 

जब अजमेर (Ajmer Shareef) के सोफिया गर्ल्स स्कूल (sofiya girls school) लगभग 250 से ज्यादा हिन्दू लडकियों का रेप किया गया तब भारत मे कांग्रेस (congress) की सत्ता थी। वही जिन लोगों को हिन्दू लड़कियों के साथ हुए इस जघन्य अपराध में दोषी पाया गया था वह फारूक चिश्ती, नफीस चिश्ती और अनवर चिश्ती थे। यह तीनों मुस्लिम युवक अजमेर में स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह के खादिम (केयरटेकर) के रिश्तेदार/ वंशज तथा कांग्रेस यूथ लीडर के लीडर भी थे ( main accused, Farooq Chishtee, Nafees chishtee, and Anver chishtee belonging to the Khadims of Ajmer Shairf Dargah, was president of the Ajmer Indian Youth Congress). मुख्य आरोपी फारूक चिश्ती ने एक हिन्दू लड़की को अपने प्रेम जाल में फंसाया और उसे प्रेम की मीठी मीठी बातों की चाशनी में फंसाकर एक फार्म हाउस पर ले गया। जहां उसने अपनी गंदी सोच का परिचय दिया और उस हिन्दू लड़की के साथ बलात्कार कर उसकी अश्लील तस्वीरे ली और फिर उन तस्वीरों के जरिए उसे ब्लैकमेल कर उससे उसकी सहेलियों को भी वहाँ लाने को कहा। 

उसकी हिम्मत इतनी बढ़ गई की उसे न उस समय की सत्ता का भय था न अपनी हरकतों पर कोई मलाल वह रोज एक हिन्दू लड़की को अपनी हवस का शिकार बनाता और उसकी अश्लील तस्वीरों के माध्यम से उसे ब्लैकमेल करता उससे उसकी सहेली बहन भामी को वहाँ लाने को बोलता। वही अगर कोई इसका विरोध करता तो उसे उसकी दरिंदगी झेलनी पड़ती। उसने अपने इस पैंतरे से लगभग 250 हिन्दू लड़कियों की जिंदगी तबाह कर दी। 

सूत्रों का कहना है कि इस घटना में सिर्फ फारूक चिश्ती, नफीस चिश्ती और अनवर चिश्ती नहीं शमिल थे अपितु उस समय की कांग्रेस सरकार के कई नेता और अधिकारी भी इसका हिस्सा थे। क्योंकि इतने बड़े कांड को कोई अकेले बारदात देना आसान नहीं था। जब इन लोगो की हवस पूरी नहीं हुई तो इन्होंने एक गिरोह बनाया जिसमे 18 लोग शामिल हुए। वही हिन्दू लड़कियों के साथ बलात्कार करने वाले इसके तीन गुना लोग थे जो कि मुस्लिम समुदाय के थे। इन्हें हिन्दू लड़कियों से इतनी घृणा थी कि यह हिन्दू लड़कियों के साथ स्वयं बलात्कार करते फिर और लोगो को उनके साथ बलात्कार करने के लिए ओब्लाइज करते। 

बलात्कार के बाद हिन्दू लड़कियों की क्या थी स्थिति:- 

1992 की इस घटना ने हिन्दू लड़कियों की जिंदगी को तहस नहस करके रख दिया। सोफिया गर्ल्स स्कूल अजमेर की लगभग 250 से ज्यादा हिन्दू लडकियों का रेप की बारदात का सच सामने आने के बाद लड़कियों ने स्कूल जाना बंद कर दिया। हर कुर्ते वाले शख्स में लड़कियों को बलात्कारी नजर आने लगे और आते भी क्यों न उनकी वजह से 250 से ज्यादा हिन्दू लड़कियों को इस दरिंदगी का शिकार होना पड़ा। वही इस लड़कियों में से अजमेर शरीफ दरगाह के खादिम (केयरटेकर) चिश्ती परिवार का खौफ इतना था कि कई लड़कियों ने आत्महत्या कर ली तो कईयों ने अपने आप को देखा कि उनका परिवार इस आग में झुलस रहा है तो वह घर छोड़कर कही चली गई। लोग जो महिलाओं के समर्थन की बात करते थे उन्होंने अपने हाँथ ऊपर कर लिए। उनके समर्थन में खड़े होने से हर किसी ने इनकार किया।

वही उस समय का लोकप्रिय मोमबत्ती गैंग अपराधियों के समर्थन में खड़ा हो गया। जिसके बाद हिन्दू लड़कियों का आत्मविश्वास चूर चूर हो गया। कई लड़कियों में इस स्थिति का सामना करने से इनकार कर दिया और आत्महत्या कर ली। वही सबसे ज्यादा चकित करने वाली बात तब सामने आई जब पता चला कि इस रेप कांड में आईएएस अधिकारी और पीएसीएस अधिकारियों की बेटियां भी थी जिसकी इन मुस्लिमों ने तस्वीरे ले ली थी और प्रशासन में होने के बाबजूद वह मूक दर्शक बने हुए थे। इस घटना में अजमेर शरीफ दरगाह के खादिम (केयरटेकर) चिश्ती परिवार के जिन सदस्यों में हिन्दू लड़कियों के साथ दरिंदगी की हदें पार की वह सभी लड़कियां नाबालिग थी और 10वीं व 12 वीं में पढ़ती थी।

सरकार क्यों बनी रही मूक दर्शक:- 

जो कांग्रेस आज के समय मे महिलाओं की समस्या के बलबूते पर सत्ता में वापसी की आस लगाए हुए हैं उसने 1992 में अजमेर की इस घटना पर अपनी आंखों पर पट्टी बांध रखी थी। जब अजमेर में 250 से ज्यादा हिन्दू लड़कियों के साथ दरिंदगी हुई थी तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। उस समय सोशल मीडिया इतना प्रचिलित नहीं था कि यह मामला आम जनमानस के जरिए तूल पकड़े और राजनीतिक दल इसकी आड़ में अपने स्वार्थ की रोटियां सेके। लेकिन कांग्रेस ने उस समय सत्ता में रहते हुए भी इस मामले पर खुलकर कुछ खास नहीं किया और इस खबर को कांग्रेसी नेताओं ने वोट और तुष्टीकरण की राजनीति के लिए दबा दिया था। 

घटना के मुख्य आरोपियों को कांग्रेस का समर्थन प्राप्त था। जिन लड़कियों ने दरिंदों के खिलाफ आवाज़ उठाने का प्रयास किया उनकी आवाज को दबा दिया गया। सत्ताधारी दल के समर्थन के चलते लड़कियों के घर वालो ने भी उनका समर्थन नहीं किया। कुछ लड़कियों की जिद्द के चलते पुलिस ने कार्यवाही की लेकिन उसका कुछ खास परिणाम नहीं निकला। वही यदि हम कांग्रेस की बात करें तो उसने भी हिन्दू लड़कियों के साथ हुई उस जघन्य घटना को महत्व न देखकर राजनीति की रोटियां सेंकी। 

कब इस मामले में दर्ज हुआ केस और कितने लोगों को मिली सजा:-

 हिन्दू लड़कियों के साथ हुई इस जघन्य घटना पर सरकार तो मूक दर्शक बनी ही रही। वही समाज के डर से लड़कियों को चुप करवा दिया गया। किसी ने अपराधियों के खिलाफ केस दर्ज नहीं किया। वही जब तस्वीरों के माध्यम से तीन लड़कियों की पहचान हुई तब बड़ी मशक्कत के बाद इस संदर्भ में केस फाइल हुआ और लगभग 250 में से महज 12 लड़कियां ही केस फ़ाइल करने को सामने आई।

लेकिन ज्यो ही इन 12 लड़कियों ने केस फाइल किया इन्हें धमकियां मिलने लगी और यह डर के चलते पीछे हट गई। लेकिन इन 12 लड़कियों में से 2 हिन्दू लड़कियों ने मुस्लिम अजमेर शरीफ दरगाह के खादिम (केयरटेकर) चिश्ती परिवार के खिलाफ केस करने की हिम्मत जताई और केस को आगे बढ़ाया। इन लड़कियों ने 16 लोगो की पहचान की जिन्होंने इस घिनौने कृत्य को अंजाम दिया था। जिसके बाद ग्यारह लोगों को पुलिस ने अरेस्ट किया। जिला कोर्ट ने आठ लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई।

इसी बीच इस घटना के मुख्य आरोपियों में से एक फारूक चिश्ती को उसके समर्थकों ने उसका मानसिक संतुलन ठीक नहीं होने का सर्टिफिकेट पेश कर फांसी की सजा से बचा लिया और उसे महज इस घिनौने कृत्य के बदले में 10 साल की सजा का ही दंड मिला।

वर्तमान में क्या है इस केस की स्थिति:- 

यदि हम वर्तमान परिपेक्ष्य की बात करे तो हिन्दू महिलाओं के साथ हुए इस जघन्य अपराध को शायद पूरा देश भूल चुका है। सभी के दिमाग से यह बात बाहर हो चुकी है कि राजस्थान के अजमेर में वर्ष 1992 में हिन्दू लड़कियों के साथ दरिंदगी हुई थी। लगभग 250 लड़कियों का मुस्लिम युवकों द्वारा बलात्कार किया गया था और उन्हें सजा के नाम पर कांगेसी सरकार के समय महज ऊंट के मुह में जीरा मिला था। 

आज अजमेर बलात्कार काण्ड के अपराधी चिश्तियों में से कोई भी अब जेल में नहीं है। सभी आजाद घूम रहे हैं और हिन्दू लड़कियों के साथ हुए इस जघन्य अपराध पर कोई सवाल नहीं कर रहा है। वर्तमान में कांग्रेस हर मुद्दे पर अपनी सक्रियता का परिचय दे रही है। वर्तमान सरकार पर सवाल कर रही है हाथरस के कांड को लेकर रोज सत्तारूढ़ सरकार को घेर रही है। लेकिन 1992 में हिन्दू लड़कियों के साथ हुए सबसे बड़े बलात्कार कांड को भूल चुकी है। कांग्रेस की नीतियों से यह समझना आसान है कि राजनीति में स्वार्थ सिद्धि सर्वोपरि है और राजनेता किसी भी मुद्दे पर अपने स्वार्थ की रोटियां सेक सकता है और अपना धर्म और कर्म अपने स्वार्थ के अनुसार बदल सकता है। के अजमेर में सब ठीक ठाक चल रहा था कि अचानक से एक ऐसी घटना का खुलासा हुआ जिसने पूरे देश को खून के आंसू रुलाया। अजमेर सीरियल गैंग रेप और ब्लैकमेलिंग केस । ऐसा कोई नहीं जो इस केस से परिचित न हो यह भारत ने महिलाओं के साथ दरिंदगी का सबसे बड़ा केस था। जिसमे सैकड़ों महिलाएं शामिल थी। 

घटना सन 1992 की है जिसने बलात्कार का घिनौना सच जनता के सामने लाकर रख दिया। जो भी इस घटना को सुनता उसकी आंखों से आंसू नहीं रुकते क्योंकि इस घटना में एक या दो नहीं अपितु सोफिया गर्ल्स स्कूल अजमेर की लगभग 250 से ज्यादा हिन्दू लडकियों का रेप किया गया था। उन हिन्दू लड़कियों को लव जिहाद में फंसाकर न केवल उनके साथ सामुहिक दुष्कर्म किया गया बल्कि उनमें से एक लड़की से उसकी फ्रेंड भाभी बहन आदि परिजनों को भी वहाँ लाने को कहा गया। दरिंदों में हिन्दू लड़कियों के साथ दुष्कर्म करने हेतु एक पूरे न्यूड सिस्टम का निर्माण किया था जिसमे वह हिन्दू लड़कियों को अश्लील तस्वीरे दिखाते थे उनके यौन शोषण की तस्वीरों के माध्यम से ब्लैकमेल करते थे और उनके साथ आय दिन दुष्कर्म करते थे।

जाने कौन था इन 250 हिन्दू लड़कियों के साथ दरिंदगी करने वाला और किसकी थी सत्ता:- 

जब अजमेर के सोफिया गर्ल्स स्कूल लगभग 250 से ज्यादा हिन्दू लडकियों का रेप किया गया तब भारत मे कांग्रेस की सत्ता थी। वही जिन लोगों को हिन्दू लड़कियों के साथ हुए इस जघन्य अपराध में दोषी पाया गया था वह फारूक चिश्ती, नफीस चिश्ती और अनवर चिश्ती थे। यह तीनों मुस्लिम युवक अजमेर में स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह के खादिम (केयरटेकर) के रिश्तेदार/ वंशज तथा कांग्रेस यूथ लीडर के लीडर भी थे। मुख्य आरोपी फारूक चिश्ती ने एक हिन्दू लड़की को अपने प्रेम जाल में फंसाया और उसे प्रेम की मीठी मीठी बातों की चाशनी में फंसाकर एक फार्म हाउस पर ले गया। जहां उसने अपनी गंदी सोच का परिचय दिया और उस हिन्दू लड़की के साथ बलात्कार कर उसकी अश्लील तस्वीरे ली और फिर उन तस्वीरों के जरिए उसे ब्लैकमेल कर उससे उसकी सहेलियों को भी वहाँ लाने को कहा। 
उसकी हिम्मत इतनी बढ़ गई की उसे न उस समय की सत्ता का भय था न अपनी हरकतों पर कोई मलाल वह रोज एक हिन्दू लड़की को अपनी हवस का शिकार बनाता और उसकी अश्लील तस्वीरों के माध्यम से उसे ब्लैकमेल करता उससे उसकी सहेली बहन भामी को वहाँ लाने को बोलता। वही अगर कोई इसका विरोध करता तो उसे उसकी दरिंदगी झेलनी पड़ती। उसने अपने इस पैंतरे से लगभग 250 हिन्दू लड़कियों की जिंदगी तबाह कर दी। 
सूत्रों का कहना है कि इस घटना में सिर्फ फारूक चिश्ती, नफीस चिश्ती और अनवर चिश्ती नहीं शमिल थे अपितु उस समय की कांग्रेस सरकार के कई नेता और अधिकारी भी इसका हिस्सा थे। क्योंकि इतने बड़े कांड को कोई अकेले बारदात देना आसान नहीं था। जब इन लोगो की हवस पूरी नहीं हुई तो इन्होंने एक गिरोह बनाया जिसमे 18 लोग शामिल हुए। वही हिन्दू लड़कियों के साथ बलात्कार करने वाले इसके तीन गुना लोग थे जो कि मुस्लिम समुदाय के थे। इन्हें हिन्दू लड़कियों से इतनी घृणा थी कि यह हिन्दू लड़कियों के साथ स्वयं बलात्कार करते फिर और लोगो को उनके साथ बलात्कार करने के लिए ओब्लाइज करते। 

बलात्कार के बाद हिन्दू लड़कियों की क्या थी स्थिति:- 

1992 की इस घटना ने हिन्दू लड़कियों की जिंदगी को तहस नहस करके रख दिया। सोफिया गर्ल्स स्कूल अजमेर की लगभग 250 से ज्यादा हिन्दू लडकियों का रेप की बारदात का सच सामने आने के बाद लड़कियों ने स्कूल जाना बंद कर दिया। हर कुर्ते वाले शख्स में लड़कियों को बलात्कारी नजर आने लगे और आते भी क्यों न उनकी वजह से 250 से ज्यादा हिन्दू लड़कियों को इस दरिंदगी का शिकार होना पड़ा। वही इस लड़कियों में से अजमेर शरीफ दरगाह के खादिम (केयरटेकर) चिश्ती परिवार का खौफ इतना था कि कई लड़कियों ने आत्महत्या कर ली तो कईयों ने अपने आप को देखा कि उनका परिवार इस आग में झुलस रहा है तो वह घर छोड़कर कही चली गई। लोग जो महिलाओं के समर्थन की बात करते थे उन्होंने अपने हाँथ ऊपर कर लिए। उनके समर्थन में खड़े होने से हर किसी ने इनकार किया।
वही उस समय का लोकप्रिय मोमबत्ती गैंग अपराधियों के समर्थन में खड़ा हो गया। जिसके बाद हिन्दू लड़कियों का आत्मविश्वास चूर चूर हो गया। कई लड़कियों में इस स्थिति का सामना करने से इनकार कर दिया और आत्महत्या कर ली। वही सबसे ज्यादा चकित करने वाली बात तब सामने आई जब पता चला कि इस रेप कांड में आईएएस अधिकारी और पीएसीएस अधिकारियों की बेटियां भी थी जिसकी इन मुस्लिमों ने तस्वीरे ले ली थी और प्रशासन में होने के बाबजूद वह मूक दर्शक बने हुए थे। इस घटना में अजमेर शरीफ दरगाह के खादिम (केयरटेकर) चिश्ती परिवार के जिन सदस्यों में हिन्दू लड़कियों के साथ दरिंदगी की हदें पार की वह सभी लड़कियां नाबालिग थी और 10वीं व 12 वीं में पढ़ती थी।

सरकार क्यों बनी रही मूक दर्शक:- 

जो कांग्रेस आज के समय मे महिलाओं की समस्या के बलबूते पर सत्ता में वापसी की आस लगाए हुए हैं उसने 1992 में अजमेर की इस घटना पर अपनी आंखों पर पट्टी बांध रखी थी। जब अजमेर में 250 से ज्यादा हिन्दू लड़कियों के साथ दरिंदगी हुई थी तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। उस समय सोशल मीडिया इतना प्रचिलित नहीं था कि यह मामला आम जनमानस के जरिए तूल पकड़े और राजनीतिक दल इसकी आड़ में अपने स्वार्थ की रोटियां सेके। लेकिन कांग्रेस ने उस समय सत्ता में रहते हुए भी इस मामले पर खुलकर कुछ खास नहीं किया और इस खबर को कांग्रेसी नेताओं ने वोट और तुष्टीकरण की राजनीति के लिए दबा दिया था। 
घटना के मुख्य आरोपियों को कांग्रेस का समर्थन प्राप्त था। जिन लड़कियों ने दरिंदों के खिलाफ आवाज़ उठाने का प्रयास किया उनकी आवाज को दबा दिया गया। सत्ताधारी दल के समर्थन के चलते लड़कियों के घर वालो ने भी उनका समर्थन नहीं किया। कुछ लड़कियों की जिद्द के चलते पुलिस ने कार्यवाही की लेकिन उसका कुछ खास परिणाम नहीं निकला। वही यदि हम कांग्रेस की बात करें तो उसने भी हिन्दू लड़कियों के साथ हुई उस जघन्य घटना को महत्व न देखकर राजनीति की रोटियां सेंकी। 

कब इस मामले में दर्ज हुआ केस और कितने लोगों को मिली सजा:-

 हिन्दू लड़कियों के साथ हुई इस जघन्य घटना पर सरकार तो मूक दर्शक बनी ही रही। वही समाज के डर से लड़कियों को चुप करवा दिया गया। किसी ने अपराधियों के खिलाफ केस दर्ज नहीं किया। वही जब तस्वीरों के माध्यम से तीन लड़कियों की पहचान हुई तब बड़ी मशक्कत के बाद इस संदर्भ में केस फाइल हुआ और लगभग 250 में से महज 12 लड़कियां ही केस फ़ाइल करने को सामने आई।
लेकिन ज्यो ही इन 12 लड़कियों ने केस फाइल किया इन्हें धमकियां मिलने लगी और यह डर के चलते पीछे हट गई। लेकिन इन 12 लड़कियों में से 2 हिन्दू लड़कियों ने मुस्लिम अजमेर शरीफ दरगाह के खादिम (केयरटेकर) चिश्ती परिवार के खिलाफ केस करने की हिम्मत जताई और केस को आगे बढ़ाया। इन लड़कियों ने 16 लोगो की पहचान की जिन्होंने इस घिनौने कृत्य को अंजाम दिया था। जिसके बाद ग्यारह लोगों को पुलिस ने अरेस्ट किया। जिला कोर्ट ने आठ लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई।
इसी बीच इस घटना के मुख्य आरोपियों में से एक फारूक चिश्ती को उसके समर्थकों ने उसका मानसिक संतुलन ठीक नहीं होने का सर्टिफिकेट पेश कर फांसी की सजा से बचा लिया और उसे महज इस घिनौने कृत्य के बदले में 10 साल की सजा का ही दंड मिला।

वर्तमान में क्या है इस केस की स्थिति:- 

यदि हम वर्तमान परिपेक्ष्य की बात करे तो हिन्दू महिलाओं के साथ हुए इस जघन्य अपराध को शायद पूरा देश भूल चुका है। सभी के दिमाग से यह बात बाहर हो चुकी है कि राजस्थान के अजमेर में वर्ष 1992 में हिन्दू लड़कियों के साथ दरिंदगी हुई थी। लगभग 250 लड़कियों का मुस्लिम युवकों द्वारा बलात्कार किया गया था और उन्हें सजा के नाम पर कांगेसी सरकार के समय महज ऊंट के मुह में जीरा मिला था। 
आज अजमेर बलात्कार काण्ड के अपराधी चिश्तियों में से कोई भी अब जेल में नहीं है। सभी आजाद घूम रहे हैं और हिन्दू लड़कियों के साथ हुए इस जघन्य अपराध पर कोई सवाल नहीं कर रहा है। वर्तमान में कांग्रेस हर मुद्दे पर अपनी सक्रियता का परिचय दे रही है। वर्तमान सरकार पर सवाल कर रही है हाथरस के कांड को लेकर रोज सत्तारूढ़ सरकार को घेर रही है। लेकिन 1992 में हिन्दू लड़कियों के साथ हुए सबसे बड़े बलात्कार कांड को भूल चुकी है। कांग्रेस की नीतियों से यह समझना आसान है कि राजनीति में स्वार्थ सिद्धि सर्वोपरि है और राजनेता किसी भी मुद्दे पर अपने स्वार्थ की रोटियां सेक सकता है और अपना धर्म और कर्म अपने स्वार्थ के अनुसार बदल सकता है।

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