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सेल्फी लेने वाले ने ही सिंधिया को हराया……

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सेल्फी लेने वाले ने ही सिंधिया को हराया……

लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा ने जीत हासिल की। मध्यप्रदेश की गुना लोकसभा सीट से भाजपा के केपी यादव जीते। इसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी ओर से उन्हें बधाई दी। यह ट्वीट भी किया। अब बताते हैं गुना सीट के बारे में। यह सीट सिंधिया परिवार का गढ़ मानी जाती थी (चुनावों के नतीजों से पहले)। 1999 में राजमाता विजयाराजे सिंधिया भाजपा की ओर से इस सीट पर जीती थीं। इसके बाद से ही यह सीट बीजेपी के खाते से चली गई थी। अब 20 वर्षों बाद यह सीट बीजेपी ने जीती है और सिंधिया का किला ढह गया है।

कौन हैं केपी यादव?

सेल्फी लेने वाले ने ही सिंधिया को हराया……
सेल्फी लेने वाले ने ही सिंधिया को हराया……

डॉ. कृष्णपाल यादव उर्फ केपी यादव। दिलचस्प बात तो यह है कि केपी यादव पहले ज्योतिरादित्य के सांसद प्रतिनिधि हुआ करते थे। उन्होंने उनसे ही राजनीति के गुर सीखे। उन्होंने ही लोकसभा चुनाव 2019 में सिंधिया को 1 लाख 25 हजार 549 वोटों से हरा दिया।

सेल्फी लेने वाले ने ही सिंधिया को हराया……
सिंधिया के साथ सेल्फी लेते हुए केपी

बात साल 2018 की है। मुंगावली विधानसभा उपचुनाव में केपी को टिकट नहीं मिला। वो नाराज थे। भाजपा में शामिल हो गए थे। 2019 चुनावों में उनके काम को देखते हुए भाजपा ने उन्हें सीधे सिंधिया के खिलाफ उतार दिया।

सेल्फी लेने वाले ने ही सिंधिया को हराया……
साल 2018 में बीजेपी कर ली थी जॉइन

क्यों हार गए सिंधिया?

दरअसल, राहुल गांधी ने सिंधिया को पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बना दिया था। लंबे समय से वो यूपी पर ही फोकस कर रहे थे। वहीं थे। वहीं सिंधिया की वाइफ प्रियदर्शनी राजे सिंधिया उनका प्रचार-प्रसार संभाल रही थीं। हालांकि ग्वालियर के बाद गुना ही वह सीट है, जहां से सिंधिया परिवार को जीत का पूरा भरोसा था। एक तरह से सेफ सीट। लेकिन आज दोनों ही सीटों पर भाजपा का कब्जा है। लहर ही ऐसी चली।

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क्यों हार गए सिंधिया?

खानदानी सीट हार गए यार

सेल्फी लेने वाले ने ही सिंधिया को हराया……

पहले गुना सीट ज्योतिरादित्य की दादी विजयराजे सिंधिया ने जीती थी, 1999 की बात है। वो भाजपा में थीं। फिर माधवराव सिंधिया निर्दलीय चुनाव जीते। लोकसभा चुनाव 2014 में मोदी लहर थी। उसमें भी ज्योतिरादित्य ने भाजपा नेता और प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया को शिकस्त दी थी। फिलहाल केपी यादव की जीत कांग्रेस से पहले सिंधिया परिवार की हार है, जो अपनी सीट नहीं बचा पाए।

 

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