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BF.7 से लड़ने के लिए कितना तैयार भारत

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डेस्क। भारत के पड़ोसी देश चीन में तबाही मचाने वाले कोरोना के वैरिएंट BF.7 के मामले भारत में भी सामने आए हैं । साथ ही कोविड से निपटने के लिए देश के अस्‍पतालों में मॉक ड्रिल हुई और लोगों को मास्‍क लगाने की सलाह भी दी जा रही है।
बता दें महामारी विशेषज्ञों के मुताबिक, BF.7 वैरिएंट तेजी से फैलता है और इससे संक्रमित एक इंसान 18 लोगों को बीमार भी बना सकता है। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में चीन जैसे हालात बनने का खतरा कम है और इसमें सबसे बड़ा रोल रहेगा इंसान की इम्‍युनिटी का होगा।
बता दें इम्‍युनिटी दो तरह की होती है हर्ड और हाइब्र‍िड इम्‍युनिटी। पहले हाइब्र‍िड इम्‍युनिटी को समझते हैं तो लैसेंट जर्नल की‍ रिपोर्ट के मुताबिक, शरीर में हाइब्र‍िड इम्‍युनिटी तब बनती है जब किसी शख्‍स को संक्रमण और वैक्‍सीनेशन दोनों ही हो चुका होता है। साथ ही ऐसे में उसके शरीर में एंटीबॉडी का लेवल भी बढ़ जाता है और संक्रमण का खतरा कम होता है। वहीं आसान भाषा में समझें तो संक्रमण और वैक्‍सीनेशन दोनों से मिलने वाली इम्‍युनिटी को ही हाइब्र‍िड इम्‍युनिटी बोला जाता हैं।
वहीं वैज्ञानिकों का कहना है, सुरक्षा के लेवल पर देखें तो हाइब्र‍िड इम्‍युनिटी को ज्‍यादा बेहतर बताया जाता है। साथ ही जिन लोगों ने केवल वैक्‍सीन लगवा रखी है, उनके मुकाबले ये कोरोना से ज्‍यादा बेहतर तरीके से निपट भी पाते हैं। और आसान भाषा में समझे तों हाइब्र‍िड इम्‍युनिटी दोहरे कवच के तौर पर काम करती है और इसे बेहतर माना जाता है। 
तो आईए अब समझते हैं हर्ड इम्‍युनिटी क्‍या होती है-
विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के मुताबिक, हर्ड इम्‍युनिटी को पॉप्‍युलेशन इम्‍युनिटी भी बोला जाता है वहीं आसान भाषा में समझें तो यह एक सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता होती है। साथ ही एक तय आबादी को संक्रमित होने या उनके वैक्‍सीनेशन के बाद उनमें वारयस के खिलाफ जो प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है, उसे ही हर्ड इम्‍युनिटी भी कहते हैं। साथ ही इससे आबादी में दोबारा संक्रमण फैलने का खतरा भी घटता है और WHO का मानना है कि वैक्‍सीनेशन हर्ड इम्‍युनिटी विकसित करने का सबसे बेहतर तरीका रहा है।  

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