पेशे से एयर होस्टेस रोजी संगमा नागालैंड के दीमापुर की रहने वाली थी और दिल्ली के बृजवासन इलाके में अपनी बहन के बेटे के साथ रहती थी। घटना 23 जून की है जब रोजी संगमा को अचानक हाथ पैर में तेज दर्द होने लगा और प्राइवेट पार्ट से ब्लीडिंग होने लगी। इसके बाद सैमुअल संगमा ने अपनी मौसी को दिल्ली के एक बड़े हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। जहां हालत खराब होने पर 24 जून की सुबह करीब 6 बजे गुरुग्राम के सेक्टर 10 स्थित अल्फा अस्पताल लेकर आ गए। सैमुअल संगमा ने अस्पताल में बनाई गई एक वीडियो में दावा किया है कि मेरी मौसी की तबीयत में काफी सुधार हुआ था लेकिन इसके बाद अस्पताल के आईसीयू में रोजी संगामा को डॉक्टरों की मौजूदगी में आइसक्रीम खिला दी गई, आइसक्रीम खाने के कुछ देर बाद ही रोजी की तबीयत फिर से काफी खराब हो गई और उनकी मौत हो गई। इस मामले को लेकर जब हमने वीडियो बनाना शुरू किया तो डॉक्टर ने हाथापाई की और पिटाई भी की. सैमुअल संगमा को अस्पताल से बाहर निकाल दिया गया।
मामला गुरुग्राम के एक प्राइवेट अस्पताल का है। मरने वाली युवती रोजी संगमा नगालैंड के दीमापुर की रहने वाली थी। वह एयर होस्टेस थी। मौत को लेकर काफी सवाल उठाए जा रहे हैं। इस मामले को सोशल मीडिया पर सैमुअल संगमा ने वायरल कर दिया।एयर होस्टेस रोजी संगमा (29) सैमुअल संगमा की मौसी थी। रोजी संगमा की मौत के 24 घंटे बाद के भीतर ही सैमुअल संगमा की भी संदिग्ध हालात में मौत हो गई। उसका शव दिल्ली के एक होटल में फंदे से लटका मिला. दोनों की मौत को लेकर नॉर्थ-ईस्ट के लोग सोशल मीडिया पर पिछले कई दिनों से लगातार विरोध कर रहे हैं. अब इस मामले में मेघालय की एक सांसद ने गृह मंत्रालय को लेटर भेजकर जांच कराने की मांग की है. दिल्ली पुलिस और गुरुग्राम की क्राइम ब्रांच जांच कर रही है।
सैमुअल संगमा के पिता ने मीडिया को दिए बयान में बताया है कि मेरा बेटा बहुत ही हिम्मती और जुझारू था. वह आत्महत्या नहीं कर सकता. उन्होंने दावा किया कि रोजी संगमा की मौत से सैमुअल काफी परेशान था. इसके बाद वह दिल्ली के होटल में आ गया था. यहां पर 25 जून की सुबह करीब 5.30 बजे मुझसे फोन पर बात भी की थी। इस दौरान उसने रोजी को इंसाफ दिलाने की बात कही थी । सैमुअल ने यह भी कहा था कि कुछ भी हो जाए वह इंसाफ दिलाने से पीछे नहीं हटेगा. ऐसे में जो शख्स इंसाफ के लिए लड़ने की बात कर रहा हो वह अचानक फांसी कैसे लगा सकता है? इसलिए सैमुअल के पिता ने रोजी और सैमुअल को इंसाफ दिलाने के लिए मेघालय सरकार नॉर्थ ईस्ट के लोगों और भारत सरकार से मदद मांगी है।
क्या कहना है अल्फा अस्पताल का? गुरुग्राम के अल्फा अस्पताल के मालिक डॉ. अनुज विश्नोई ने बताया कि रोजी संगमा को 24 जून की सुबह करीब 6रू00 बजे अस्पताल लाया गया था. उसके साथ दो अन्य लोग भी थे. रोजी की हालत खराब को देखते हुए पहले उसे इमरजेंसी में भर्ती किया गया. डॉक्टर ने बताया कि ज्यादा ब्लीडिंग होने से हालत खराब हो गई. इसलिए आईसीयू में भर्ती किया गया वहां कुछ देर के लिए हालत ठीक भी हुई थी. हालांकि, 24 जून की सुबह करीब 11 बजे आईसीयू में भर्ती दूसरी मरीज को आइसक्रीम खाने के लिए दी गई थी. इसे रोजी ने देख लिया और खाने के लिए मांग लिया. डॉक्टर का दावा है कि आइसक्रीम उसने अपनी मर्जी से खाई थी. इसके अलावा सैमुअल से कोई मारपीट नहीं की गई थी. बल्कि उसके लगातार वीडियो बनाने से थोड़ी धक्का-मुक्की जरूर हुई थी. डॉ. अनुज बिश्नोई ने बताया कि अस्पताल में सैमुअल से कोई मारपीट नहीं की गई.
यह भी दावा किया कि बाद में भी सैमुअल के साथ क्या हुआ, उन्हें कोई जानकारी नहीं है. अस्पताल इन वजहों से आया सवालों में अल्फा अस्पताल का दावा है कि रोजी की हालत काफी गंभीर थी. इसके बावजूद एक्सपर्ट डॉक्टरों को क्यों नहीं बुलाया गया? डॉक्टर का यह भी दावा है कि करीब 10.00 बजे जब रोजी की हालत ज्यादा खराब हुई तब पुलिस को सूचना दी गई. ऐसे में सवाल उठता है कि डॉक्टरों ने उसे किसी एक्सपर्ट या फिर दूसरे बड़े अस्पताल में रेफर क्यों नहीं किया? रोजी की बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होने से हालत खराब थी. ऐसे में आईसीयू में आइसक्रीम खाने से क्यों नहीं मना किया गया? वहीं, सवाल खड़े किए जा रहे हैं कि सैमुअल संगमा की अगर यह साधारण आत्महत्या है तो फिर उसके चेहरे पर चोट और सूजन के निशान कहां से आए? सैमुअल संगमा की मौत से कुछ देर पहले ही मेघालय में रहने वाले माता-पिता से बात हुई थी, जिसमें वह इंसाफ की बात कर रहा था और उसके कुछ देर बाद ही अचानक फांसी क्यों लगा ली?
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