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एकता की बड़ी-बड़ी बातें करने वाले इंडिया अलाइंस में राज्यों में सीट बटवारे को लेकर मतभेद देखने को मिल रहा है। समाजवादी प्रमुख की नाराजगी का मामला शांत नहीं हुआ कि अब खबर आ रही है कि जेडीयू भी एमपी में कांग्रेस के रुख से रष्ट नजर आ रही है। क्योंकि कांग्रेस को लगता है एमपी में उसका पलड़ा भारी है और उन्होंने इस दोनों दलों के साथ सीट बटवारे में आनाकानी ही नहीं की बल्कि इन्हें पीठ भी दिखा दी। कांग्रेस के रुख से दोनों दलों के प्रमुख का मन खिन्न है।
अखिलेश यादव तो मीडिया से कह चुके हैं कि यदि उनको पहले से पता होता कि कांग्रेस का गठबंधन सिर्फ केंद्र के लिए है तो वह कभी इसका हिस्सा नहीं बनते तो नीतीश भी यह बताने से नहीं चूके की कांग्रेस गठबंधन को लेकर सीरियस नहीं है। दोनों के बयाना पर कांग्रेस ने शांत रुख अपनाते हुए स्थिति को स्थिर करने की कोशिश की है।
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क्या है मामला:
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जेडीयू एमपी में अपने प्रत्याशी उतारना चाहती थी। यह बात पहले ही कांग्रेस और जेडीयू के मध्य तय हो चुकी थी। लेकिन जब चुनाव लड़ने की बारी आई तो कांग्रेस ने जेडीयू को पीठ दिखा दी। यानी उनका साथ नहीं दिया और कमलनाथ ने अपनी इच्छा के मुताबिक प्रत्याशियों को टिकट दिया।
एमपी कांग्रेस के इस बर्ताव से नाराज जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को फोन किया। सूत्रों का दावा है कि उनकी खड़गे से बात नहीं हो पाई। उन्होंने आरजेडी प्रमुख तेजस्वी यादव से इसकी शिकायत की है कि कांग्रेस अध्यक्ष जानबूझकर ऐसा कर रहे हैं, वह मेरा फोन उठाने से बच रहे हैं। ऐसे में उनको इसका खामियाजा 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के समय भुगतना पड़ेगा।
क्या हुई थी डील:
कांग्रेस और जेडीयू के मध्य दो सीटों पर चुनाव लड़ने के संदर्भ में डील हुई थी। दोनों ही दल पहले इसके लिए राजी थे। लेकिन बाद में एमपी कांग्रेस इससे मुकर गई और शीर्ष नेतृत्व भी कुछ नहीं कर पाया। कांग्रेस के इस रवैया से जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष काफी नाराज हैं – उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि एमपी में कांग्रेस का जो रख देखने को मिला है उसका खामियाजा कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा।
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