कोनूर (नमक्कल)। कड़ी धूप में 59 साल की एल वरुदम्मल एक खेत से खर-पतवार निकाल रही हैं। लाल साड़ी, चोली के ऊपर सफेद शर्ट पहने और सिर पर लाल गमछा लपेटे वरुदम्मल की सूरत गांव में रहने वाली किसी भी आम महिला जैसी है। पास के ही एक खेत में 68 साल के लोगनाथन जमीन समतल करने में लगे हैं। दोनों को देखकर यह अंदाजा बिल्कुल नहीं होगा कि वे एक केंद्रीय मंत्री के माता-पिता हैं। बेटा एल मुरुगन इसी महीने केंद्र में राज्य मंत्री बना है मगर ये दोनों अब भी खेतों में पसीना बहा रहे हैं। दोनों को अपने बेटे से अलग जिंदगी पसंद है, अपने पसीना बहाकर कमाई रोटी खाना अच्छा लगता है।
गांव के मुखिया ने कहा कि बेटे के केंद्रीय मंत्री बन जाने के बावजूद दोनों के बर्ताव में कोई बदलाव नहीं आया है। गांव में ही रहने वाले वासु श्रीनिवासन ने कहा कि जब राज्य सरकार कोविड के समय राशन बांट रही थी तो लोगनाथन लाइन में लगे थे। उन्होंने बताया, “हमने उससे कहा कि लाइन तोड़कर चले जाओ मगर वो नहीं माने।” श्रीनिवासन के मुताबिक, दोनों अपनी सादगी के लिए जाने जाते हैं। उनके पास जमीन का एक छोटा टुकड़ा भी नहीं है।
अरुणथथियार समुदाय से आने वाले ये दोनों नमक्कल के पास एजबेस्टास की छत वाली झोपड़ी में रहेते हैं। कभी कुली का काम करते हैं तो कभी खेतों में, कुल मिलाकर रोज कमाई करने वालों में से हैं। बेटा केंद्रीय मंत्री है, इस बात से इतनी जिंदगी में कोई फर्क नहीं है। जब उन्हें पड़ोसियों से इस खबर का पता चला तब भी खेतों में काम कर रहे थे और खबर सुनने के बाद भी रुके नहीं।
मार्च 2000 में जब मुरुगन को तमिलनाडु बीजेपी का प्रमुख बनाया गया था, तब वे अपने माता-पिता से मिलने कोनूर आए थे। मुरुगन के साथ समर्थकों का जत्था और पुलिस सुरक्षा थी मगर माता-पिता ने बिना किसी शोर-शराबे के बड़ी शांति से बेटे का स्वागत किया। वे अपने बेटे की कामयाबियों पर नाज करते हैं मगर स्वतंत्र रहनें की अपनी जिद है। पांच साल पहले छोटे बेटे की मौत हो गई थी, तब से बहू और बच्चों की जिम्मेदारी भी यही संभालते हैं।
मुरुगन के पिता के अनुसार, पह पढ़ाई में बड़ा तेज था। चेन्नै के आंबेडकर लॉ कॉलेज में बेटे की पढ़ाई के लिए लोगनाथन को दोस्तों से रुपये उधार लेने पड़े थे। मुरुगन बार-बार उनसे कहता कि चेन्नै आकर उनके साथ रहें। वरुदम्मल ने कहा, “हम कभी-कभार जाते और वहां चार दिन तक उसके साथ रहते। हम उसकी व्यस्त लाइफस्टाइल में फिट नहीं हो पाए और कोनूर लौटना ज्यादा सही लेगा।” मुरुगन ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद मां-बाप से फोन पर बात की। दोनों ने उनसे पूछा कि यह पद राज्य बीजेपी प्रमुख से बड़ा है या नहीं।
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