यूक्रेन पर रूस के हमले की वजह से अब परमाणु युद्ध छिड़ने का खतरा पैदा हो गया है। हालांकि दोनों के बीच बातचीत का रास्त जरूर खुल गया है, लेकिन रूस ने अपनी परमाणु मिसाइलों को तैनात करने के आदेश दे रखे हैं। वैसे तो रूस के राष्टपति व्लादिमीर पुतिन अनुभवी नेता हैं, लेकिन जानिए यदि उन्होंने परमाणु युद्ध की ठान ली, तो आखिर उन्हें ऐसा करने से कौन रोक सकता है?
नाटो के एक पूर्व प्रमुख कह चुके हैं कि रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध की वजह से परमाणु युद्ध छिड़ सकता है। यूरोप के पूर्व नाटो उप सर्वोच्च सहयोगी कमांडर जनरल सर एड्रियन ब्रैडशॉ ने कहा कि अगर रूस के सैनिक नाटो क्षेत्रों में कदम रखते हैं तो इसके सदस्य रूस के खिलाफ युद्ध की शुरुआत कर देंगे। दरअसल, यूक्रेन के पूर्व में नाटो सदस्य देश मौजूद हैं। ऐसे में अगर गलती से इन मुल्कों पर हमला हुआ, तो स्थिति भयावह हो सकती है।
बाइडेन में रूस को रोकने ताकत नहीं, जिनपिंग रोक सकते हैं रूस को
विदेश मामलों के जानकार रहीस सिंह कहते हैं कि यदि रूस ने परमाणु हमला किया तो ऐसा करने से उन्हें अमेरिका के राष्टपति जो बाइडन भी नहीं रोक सकते हं, क्योंकि वे अपना आधार खो चुके हैं। वहीं चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग में यह क्षमता है कि यदि परमाणु युद्ध की ठान ली रूस ने, तो वे पुतिन को ऐसा करने से रोकने की क्षमता रखते हैं।
भारत की बात की जाए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में भी वो ताकत है कि वो अपने मित्र पुतिन को ऐसा करने से रोक सकते हैं। नरेंद्र मोदी में रूस को परमाणु हमले से रोकने के लिए यह ताकत इसलिए है कि भारत रूस का परंपरागत, पुराना और गहरा मित्र है। यूएन में दो बार वोंटिंग से खुद को दूर करके उसने यह साबित भी कर दिया है। दरअसल, भारत भी अच्छे मित्र की तरह यह चाहता है कि रूस और पूरी दुनिया को नुकसान न पहुंचे, इसलिए वह रूस से यह कह सकता है कि दुनिया के लिए रूस शांति की राह पर ही चले, न कि न्यूक्लियर वीपन के उपयोग पर।
भारत और चीन तो केवल देश हं, लेकिन युनाइटेड नेशन पूरी दुनिया द्वारा मान्य संस्था है, लेकिन उसमें बिल्कुल दमखम नहीं है।युनाइटेड नेशन पूरी तरह असहाय है, पहले भी कई मौकों पर वह असहाय के रूप में नजर आया है। इसलिए उसमें वो ताकत नहीं है कि वह रूस को कुछ भी बात ताकत के साथ कह सके।
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