देश:- सुप्रीम कोर्ट ने अविवाहित महिलाओं, समलैंगिक रिलेशनशिप में रह रहे लोगो के लिये बड़ा फैसला लिया है और कहा है कि यह लोग भी अपना परिवार रख सकते हैं। कोर्ट ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, कानून की समझ मे परिवार का मतलब एक मां एक पिता होना है। अगर यह दोनो है तो परिवार पूरा होता है।
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस ए एस बोपन्ना की बेंच ने एक आदेश में कहा यह धारणा दोनों की उपेक्षा करती है, कई परिस्थितियां जो किसी के पारिवारिक ढांचे में बदलाव ला सकती हैं, और यह सच्चाई कि कई परिवार इस अपेक्षा के अनुरूप नहीं हैं, पारिवारिक संबंध घरेलू, अविवाहित सहजीवन या समलैंगिक संबंधों का रूप ले सकते हैं।
जानकारी के लिए बता दें 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया था. अब एक कार्यकर्ता समलैंगिकों को शादी और सिविल यूनियन को मान्यता देने के साथ-साथ लिव-इन जोड़ों को बच्चे गोद लेने की अनुमति देने के मुद्दे को उठा रहे हैं।
कोर्ट ने कहा, 1972 के नियमों के तहत मैटरनिटी लीव देने का उद्देश्य महिलाओं को कार्यस्थल पर बने रहने में सुविधा प्रदान करना है. इस तरह के प्रावधानों के लिए यह एक कठोर वास्तविकता है कि अगर उन्हें छुट्टी और अन्य सुविधाएं नहीं दी जाती हैं तो कई महिलाएं सामाजिक परिस्थितियों के मद्देनजर बच्चे के जन्म पर काम छोड़ने के लिए मजबूर हो जाएंगी
नोट- खबर tv9 भारतवर्ष से ली गई है।
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