डेस्क। जेएनयू वीसी शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित का विवादित बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि हिन्दू धर्म का ‘कोई भी भगवान ऊंची जाति का नहीं है।’ वह ‘डॉ. बी आर आंबेडकर्स थॉट्स आन जेंडर जस्टिस: डिकोडिंग द यूनिफॉर्म सिविल कोड’ शीर्षक वाले डॉ. बी आर आंबेडकर लेक्चर सीरीज में बोल रही थीं जिस दौरान उन्होंने यह विवादित बयान दिया।
बता दें कि समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू करना लैंगिक न्याय के प्रति सबसे बड़ा उपकार होगा और यह मानना है जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) की कुलपति शांतिश्री धूलिपदी पंडित का।
साथ ही उन्होंने सोमवार को डॉ. बी आर आंबेडकर व्याख्यान श्रृंखला में यह भी कहा कि कानूनों की एकरूपता लोगों को प्रगतिशील और उनकी सोच को विस्तृत करने के लिए है। जेएनयू कुलपति ने कहा कि आंबेडकर समान नागरिक संहिता को लागू करना चाहते थे।
साथ ही उन्होंने कहा, ‘गोवा में समान नागरिक संहिता है जो पुर्तगालियों द्वारा लागू की गई थी, इसलिए वहां हिंदू, ईसाई और बौद्ध सभी ने इसे स्वीकार किया है, तो हर जगह ऐसा क्यों नहीं किया जा रहा।’
जेएनयू वीसी ने आगे कहा कि ‘देवी-देवता उच्च जातियों से नहीं हैं’ और ‘भगवान शिव भी अनुसूचित जाति या जनजाति से हो सकते हैं।’ इसके साथ ही उन्होंने मनुस्मृति में ‘महिलाओं को शूद्रों का दर्जा’ दिए जाने को प्रतिगामी भी बताया।
शांतिश्री धूलिपदी पंडित ने यह भी कहा, ‘जब तक हमारे पास सामाजिक लोकतंत्र नहीं है, हमारा राजनीतिक लोकतंत्र केवल एक मृगतृष्णा है। कभी न कभी ऐसा समय आएगा जब आपको ये इतना उल्टा पड़ जाएगा कि आप उसे संभाल नहीं पाएंगे।’
देश में जाति-संबंधी हिंसा की घटनाओं के संबंध में पंडित ने यह भी कहा कि ‘मानव-विज्ञान की दृष्टि से’ देवता उच्च जाति से नहीं हैं और भगवान शिव भी अनुसूचित जाति या जनजाति से हो सकते हैं।
उन्होंने यह भी कहा, ‘मैं सभी महिलाओं को बता दूं कि मनुस्मृति के अनुसार सभी महिलाएं शूद्र हैं, इसलिए कोई भी महिला यह दावा नहीं कर सकती कि वह ब्राह्मण या कुछ और है।
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