Home politics मायावती के ‘एकला चलो’ ऐलान के सियासी मायने

मायावती के ‘एकला चलो’ ऐलान के सियासी मायने

3
0

डेस्क। लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सियासी बिसात बिछाई ही जाने लगी है, जिसका सेमीफाइनल इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को भी माना जा रहा है। वहीं ऐसे में सियासी पार्टियां अपने सामाजिक समीकरण दुरुस्त करने और राजनीतिक गठजोड़ बनाने की कवायद शुरू भी कर दी गई है।
 नीतीश कुमार से लेकर केसीआर और कांग्रेस तक अपने-अपने स्तर से विपक्षी एकता बनाने के लिए राजनीतिक तानाबाना बनाने में लगे हैं तो बसपा प्रमुख मायावती ने किसी से गठबंधन करने के बजाय एकला चलो की राह पर चलने का फैसला भी किया है।
मायावती ने अपने 67वें जन्मदिन पर यह ऐलान किया कि 2023 में होने वाले कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा अकेले चुनाव भी लड़ेगी। साथ ही कांग्रेस या अन्य किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन भी नहीं करेगी। इसी के साथ उन्होंने यह बात कांग्रेस के साथ बसपा गठबंधन में चर्चांओं पर बात भी की। पर , मायावती ने अकेले चुनावी मैदान में लड़ने का निर्णय ऐसे समय लिया है जब गठबंधन की सियासत तेज दिखाईं दे रही है। ऐसे में सवाल यही है कि मायावती के ‘एकला चलो’ ऐलान के सियासी मायने आखिर क्या हैं?

Text Example

Disclaimer : इस न्यूज़ पोर्टल को बेहतर बनाने में सहायता करें और किसी खबर या अंश मे कोई गलती हो या सूचना / तथ्य में कोई कमी हो अथवा कोई कॉपीराइट आपत्ति हो तो वह [email protected] पर सूचित करें। साथ ही साथ पूरी जानकारी तथ्य के साथ दें। जिससे आलेख को सही किया जा सके या हटाया जा सके ।