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समावेशी विकास का सपना बिहार जैसे राज्यों को आगे बढ़ाये बिना संभव नहीं- नीतीश कुमार

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Union budget:- कल जब बजट आया तो सत्ताधारी दल भाजपा ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की खूब सराहना की। हर ओर अमृत काल के बजट की चर्चा रही। लेकिन इस सबके बीच विपक्ष बजट से निराश नजर आया। तेजस्वी यादव ने इसे लोकलुभावन बताया। तो केजरीवाल बोले बजट में दिल्ली वालों के साथ सौतेला व्यवहार किया गया है।
वहीं अब बजट को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा बयान दिया है। नीतीश कुमार बोले बजट से बिहार के हाथ निराशा लगी है। यह बजट दूरदृष्टि वाला नहीं है। विशेष राज्य की मांग को बजट में अनदेखा किया गया है। बजट में विकास के वादे हुए। लेकिन समावेशी विकास बिना बिहार के विकास के सम्भव नहीं है।
नीतीश कुमार ट्वीट करते हुए लिखते हैं- केन्द्र सरकार द्वारा पेश किया गया आम बजट निराशाजनक है। इसमें दूरदृष्टि का अभाव है। हर वर्ष बजट की प्राथमिकताएं बदल दी जाती हैं, जो फोकस और निधि के अभाव में पूरी नहीं हो पा रही हैं।
बिहार को इस बजट से निराशा हाथ लगी है और एक बार फिर विशेष राज्य का दर्जा देने की मॉग की अनदेखी की गयी है। समावेशी विकास का सपना बिहार जैसे राज्यों को आगे बढ़ाये बिना संभव नहीं है। समावेशी विकास के तहत बिहार सरकार ने केन्द्रीय बजट (2023-24) में वित्त मंत्रियों की बैठक में राज्य के लिए 20,000 करोड़ रूपये के स्पेशल पैकेज की मांग की थी जिसे बजट में नहीं दिया गया है। युवाओं के लिये रोजगार सृजन को लेकर बजट में कोई खाका दिखाई नहीं दे रहा है।
राज्यों की वित्तीय स्थिति को नजरअंदाज किया गया है। राज्य सरकार की ऋण सीमा में वर्ष 2023-24 में कोई छूट नहीं दी गई है। बिहार सरकार ने अपने ज्ञापन में इसे 4.5 प्रतिशत (4% एवं 0.5% सशर्त) तक रखने का आग्रह किया था जो पिछड़े राज्यों के विकास में तथा नए रोजगार सृजन में लाभप्रद होता। केन्द्रीय बजट में भारत सरकार ने सात प्राथमिकताओं (सप्तऋषि) का निर्धारण किया है। यह योजना केन्द्र सरकार की पूर्व से चल रही योजनाओं की केवल री-पैकेजिंग है। बिहार सरकार वर्ष 2016 से ही सात निश्चय-1 एवं वर्ष 2021 से सात निश्चय-2 के अन्तर्गत नई योजनाओं को सफलता से क्रियान्वित कर रही है।

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