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इन्द्रपुरी सोन बराज मे पानी की कमी से बिहार के आठ जिलों मे सिंचाई की संकट पर्याप्त वर्षा नही हुई तो सुखाड़ की मार झेलेंगे किसान

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इन्द्रपुरी सोन बराज मे पानी की कमी से बिहार के आठ जिलों मे सिंचाई की संकट पर्याप्त वर्षा नही हुई तो सुखाड़ की मार झेलेंगे किसान

डालमियानगर । मौसम के बेरूखी के कारण जिले मे सुखाड़ की समस्या गंभीर हो गयी है। वर्षा चटकने के कारण पुन: सभी नदी नाले एवं आहर पोखर सुखने लगे है। इन्द्रपुरी सोन बराज का भी जल स्तर दिन प्रतिदिन गिरते जा रहा है। जिसके कारण किसानों को चिंता सताने लगी है। बराज मे पानी की कमी को देखते हुऐ जल संसाधन विभाग के द्वारा सोन नदी मे किया जा रहा जल का स्त्राव पूर्ण रूप से बन्द कर दिया गया है। बराज मे जितना पानी है उसे सिंचाई के लिये सोन नहरों मे छोड़ा जा रहा है। वर्तमान समय मे इन्द्रपुरी सोन बराज मे मात्र 14598 क्यूसेक पानी ही है। जिसे मे पूर्वी संयोजक नहर मे 4496 क्यूसेक एवं पश्चिमी संयोजक नहर मे 8412 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। रिहंद जलाशय के द्वारा 1912.43 क्यूसेक पानी ही सोन नदी मे दिया जा रहा है। जो उंट के मुंह मे जीरा के बराबर है। वही बाणासगर के द्वारा सोन बराज को 10 जुलाई के बाद पानी देना बन्द कर दिया गया है। जिसके कारण सोन बराज मे जल संकट गहरा गया है। बराज मे पानी की यही स्थिती रही तो धान की फसल के रोपनी का कार्य भी पुरा नही किया जायेगा।

पानी नही मिला तो खाली रह जायेगा धान का कटोरा

बिहार मे धान के उत्पादन करने वाले क्षेत्रों मे शाहाबाद के सभी चारों जिला रोहतास, कैमूर, बक्सर एवं भोजपुर जिले का अव्वल स्थान है। वही पटना प्रमंड़ल एवं मगध प्रमंड़ल के औरंगाबाद,जहानाबाद, अरवल एवं पटना जिले मे भी धान की उत्पादन किया जाता है। ईन सभी जिलो मे धान की फसल के सिंचाई के लिये किसान मुख्य रूप से सोन नहर प्रणाली पर निर्भर है। नहरों से पानी मिला तो फसल होगी नही तो सुखाड़ के चपेट मे आठ़ जिले चले जायेंगे। धान की उत्पादन तो दुर पशुओं को खाने के लिये चारा भी नही मिलेगा।

नवम्बर तक चाहिऐं नहरों मे पानी

धान की फसल को तैयार होने तक सोन नहरों मे नवम्बर माह तक पानी चाहिऐ, परन्तु अभी से पानी की कमी शुरू हो गयी है। सोन बराज मे पानी की स्थिती देख विभाग  के अधिकारियों की भी चिंता बढ़ते जा रही है। जल संसाधन विभाग के अनुसार धान के फसल के रोपनी के बाद तीन बार पटवन की आवश्यकता होती है। अंतिम पटवन अक्टूबर एवं नवम्बर महिने मे किया जाता है। उस वक्त पानी नही मिला तो फसल मे बालियाँ नही लगेगी। उस समय पानी कहाँ से आयेगा इसका भी ब्यवस्था करनी है। विभाग के द्वारा 10 जुलाई तक बाणसागर से पानी लिया गया था। अंतिम पटवन के लिये प्रतिदिन 6000 से 8000 क्यूसेक पानी बाणासागर से लिया जाता है।

पानी के अभाव मे पीले पड़ने लगे धान के बिचड़े

किसानो के द्वारा अपने खेतों मे रोपने के लिये तैयार किये गये बिचड़े पटवन के अभाव मे पीले पड़ने लगे है। बिचड़ों को बचाने के लिये पानी कहाँ से लाया जाये इसकी भी चिंता किसानों को सता रही है। वही किसानों के द्वारा खेत धान के पौधे रोपने के लिये तैयार तो कर लिया गया है परन्तु पानी नही होने के कारण रोपनी का कार्य बाधित है। अगर खेत मे दरारें पड़ गयी तो फिर से उसकी जुताई करनी पड़ेगी।

कहते है अधिकारी

जल संसाधन विभाग मोनटरिंग सेल के कार्यपालक अभियंता भावनाथ सिंह ने बताया कि बराज को जितना पानी प्राप्त हो रहा है उनता नहरों मे छोड़ दिया जा रहा है। नदी मे पानी बन्द कर दिया गया है। वर्षा होने पर ही बराज मे पानी की मात्रा बढ़ने की उम्मीद है।

वर्तमान समय मे सोन नहरों मे पानी की स्थिती क्यूसेक मे

पूर्वी संयोजक नहर –            4496

पश्चिमी संयोजक नहर –         8412

पश्चिमी सोन उच्च स्तरीय नहर – 1349

आरा मुख्य नहर –              3550

मुख्य नहर बक्सर –            4309

चौसा शाखा नहर –             1158

बक्सर शाखा नहर –            1494

गारा चौबे शाखा नहर –         1212

डुमरांव शाखा नहर –           1040

विहियां शाखा नहर –           729

कोईलवर वितरणी –            262

भोजपुर वितरणी –             350

करगहर वितरणी –             441

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