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पीएम मोदी : मन की बात में गढ़वा के हीरामण का किया जिक्र, जानिए इनकी उपलब्धि

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रांची, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रविवार को मन की बात की। इसमें उन्‍होंने झारखंड के गढ़वा जिले के हीरामण का जिक्र किया। उन्‍होंने बताया कि हीरामण ने झारखंड की संस्‍कृति और पहचान के संरक्षण के लिए एक सराहनीय प्रयास किया है। हीरामण ने यहां की विलुप्‍त होती कोरवा जनजाति के संरक्षण के लिए एक शब्‍दकोश बनाया है। हीरामण ने 12 सालों की अथक मेहनत के बाद कोरवा भाषा का शब्‍दकोश तैयार किया है।

मोदी ने बताया कि हीरामण ने इस शब्‍दकोश में घर-गृहस्‍थ में प्रयोग होने वाले शब्‍दों से लेकर दैनिक जीवन में इस्‍तेमाल होने वाले कोरवा भाषा के ढेर सारे शब्‍दों को अर्थ के साथ लिखा है। पीएम नरेंद्र मोदी ने मन की बात में कहा कि हीरामण ने कोरवा समुदाय के लिए जो कर दिखाया है, वह देश के लिए एक मिसाल है। हीरामण कोरवा जनजाति के हैं। वे गढ़वा जिले के रंका प्रखंड के सिंजो गांव के रहने वाले हैं।

पीएम मोदी ने बताया कि कोरवा जनजाति की आबादी महज 6 हजार है। यह समुदाय शहरों से दूर पहाड़ों और जंगलों में निवास करती है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी के दूसरे कार्यकाल के दौरान का यह 19वां मन की बात है। आज 27 दिसंबर का मन की बात इस साल 2020 के आखिरी मन की बात थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महीने के आखिरी रविवार को मन की बात कार्यक्रम के माध्‍यम से आम जनता से जुड़ते हैं।

 

गांव में पारा शिक्षक हैं हीरामण

हीरामण प्राथमिक विद्यालय सिंजो में पारा शिक्षक हैं। उनका कहना है कि शब्दकोष के तैयार हो जाने के बाद कोरवा भाषा को संरक्षित एवं समृद्ध करने में मदद मिलेगी। कोरवा भाषा में गांव को ऊंगा, राख को तोरोज, खाना खाएंगे को लेटे जोमाउह, आग को मड़ंग कहते हैं। हीरामन कहते हैं कि शब्दकोष कोरवा भाषा के ऐसे ही शब्दों से आम लोगों का परिचय कराता है।

उन्होंने कहा कि जब से उन्होंने होश संभाला है, तब से कोरवा भाषा के शब्दों को एक डायरी में लिखकर सुरक्षित करने का प्रयास शुरू कर दिया। समय के साथ लोग कोरवा भाषा को भुलने लगे। यह उन्हें बचपन से ही कटोचना शुरू कर दिया। यहीं से उनके मन में कोरवा भाषा को संरक्षित करने की भावना जगी। वह आज भी जारी है। जैसे-जैसे इनकी उम्र बढ़ती गई, उनकी यह इच्छा और भी प्रबल होती गई।

50 पन्‍नों का है शब्‍दकोश

इनकी प्रारंभिक शिक्षा उसी विद्यालय में हुई जिसमें आज वे पारा शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि 12 वर्ष तक एक डायरी में सहेजे कोरवा भाषा के शब्दों का शब्दकोष बनाने की जब सोची तब इसमें आर्थिक तंगी आड़े आ गई। ऐसे में उनका सहयोग पलामू के मल्टी आर्ट एसोसिएशन ने किया और इस संस्थान ने कोरवा भाषा के शब्दकोष को छपवाने में हीरामण को आर्थिक मदद की।

कुल 50 पन्नों के छपे इस शब्दकोष में कोरवा भाषा में प्रयुक्त होने वाले शब्द, पशु-पक्षियों से लेकर सब्जी, रंग, दिन, महीना समेत घर-गृहस्थी से जुड़े शब्द शमिल हैं। प्रधानमंत्री द्वारा मन की बात में अपना जिक्र किए जाने की जानकारी मिलने के बाद हीरामण कोरवा अचानक से ही जिले में चर्चा का विषय बन गए हैं।

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