दुरभाग्य यह की परिजनों द्वारा प्राथमिकी दर्ज कर जांच किये जाने की मांग एसपी ,एडीजी व जिलाधिकारी से मिलकर किये जाने के बावजूद आजतक मुकदमा दर्ज करना दूर उल्टे पुलिस द्वारा मृतक के दमाद को ही झूठी सूचना देने के आरोप मे गिरफ्तार कर प्रताडना के बाद शांतीभग के अंदेशे मे चलान करना पुलिस की कार्रवाई पर प्रश्न चिन्ह उठाता है। इतना ही नही जब थानाध्यक्ष से पीएम रिपोर्ट के बारे मे पुछा गया तो उन्होंने एक्सडेंटल मामला बताते हुये हत्या को सीरे से खारिज कर दिया। परन्तु सवाल यह उठता है कि यदि वृद्ध की मृत्यु दुर्घटना बस ही हुई थी तो दुर्घटनाकारित करने वालों के खिलाफ क्या कोई मुकदमा नही बनता और क्या पुलिस नई परिपाटी गढ़ रही है की तहरीर देने वालों के खिलाफ ही मुकदमा पंजीकृत कर दी जाए।
इतना ही नही शव मिलने का घटना स्थल नहर के बगल स्थित गन्ने का खेत था सवाल यह उठता है कि वृद्ध की एक्सडेंट यहां कैसे हुई । यदि यहां नही हुई तो शव यहां कैसे पहुचा ऐसे सवाल तो ढेर सारे हैं जिन्हे तफसीस के माध्यम से ही सुलझाया जा सकता है परन्तु यहां पुलिस मुकदमा दर्ज करने से कतरा रही ऐसे मे तफसीस की बात सोचना भी बेमानी है।
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