कानपुर शहर में सरकारी व निजी संस्थाओं द्वारा कराए जाने वाले कार्य के लिए सड़क पर पड़ा सामान चोरी हो रहा था और चोरी करने वाले भी बाकायदा हाइड्रा क्रेन लेकर आते थे और डीसीएम में भरकर ले जाते थे। इस दरमियान उन्हें सड़क पर निकलने व गश्व करने वाली पुलिस भी जरूर निकलती होगी लेकिन शायद टोकती नहीं थी। पुलिस ने ऐसे ही लाखों रुपये के अंडरग्राउंड केबिल चोरी करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश किया है।
पुलिस ने गिराेह के तीन सदस्यों को गंगा बैराज मार्ग पर जागेश्वर मंदिर तिराहे पर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इनसे 20 लाख रुपये कीमत के केबिल, तार खींचने व काटने के लिए हाइड्रा क्रेन और उसे ले जाने के लिए प्रयुक्त डीसीएम भी बरामद की है। गिरोह के आठ सदस्यों को दिल्ली पुलिस पहले ही जेल भेज चुकी है। 14 सितंबर की रात हर्षनगर के पास हाइड्रा क्रेन की मदद से गिरोह ने बीएसएनएल का 60 लाख रुपये कीमत का 1400 मीटर केबिल चोरी कर लिया था। इससे कई इलाकों की टेलीफोन सेवा ठप हो गई थी। आरोपितों ने डीसीएम में तार लादकर दिल्ली के सीलमपुर इंडस्ट्रियल एरिया में ले जाकर बेचा था। बीएसएनएल के अधिकारियों ने कर्नलगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया।
ये चोर इतने शातिर थे कि नमामि गंगे प्रोजेक्ट में काम करने वाले कर्मचारियों वाली पोशाक पहनकर चोरी की घटना को अंजाम देते थे, जिससे पुलिस उन्हें कर्मचारी ही समझती थी। पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी तो पता लगा कि चोरों ने नमामि गंगे प्रोजेक्ट में लगे कर्मचारियों की तरह पोशाक पहन रखी थी। पिछले दिनों दिल्ली के जनकपुरी थाना पुलिस ने गिरोह के आठ सदस्यों मोशिर सिद्दीकी, अजहरुद्दीन, परवेज, शाकिब, लड्डू, मंजूर आलम, शाहिद, मो. यूसुफ को पुलिस ने पकड़ा तो कर्नलगंज पुलिस दिल्ली पहुंची। इसके बाद तीन चोर सीलमपुर दिल्ली निवासी मुजम्मिल, यूसुफ और हाइड्रा का मालिक अकबरपुर (कानपुर देहात) के रनिया निवासी अनूप गुप्ता पकड़े गए। एसपी पश्चिम डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि पकड़ा गया गिरोह अंतरराज्यीय है जो दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा में भी वारदात कर चुका है। चोरी के तार सीलमपुर की फैक्ट्रियों में बेचे जाते थे।
वारदात के लिए डीसीएम पर लिखा कानपुर का नंबर
सीओ दिनेश शुक्ला ने बताया कि गिरोह के सदस्य दिल्ली से डीसीएम से कानपुर आए। यहां कानपुर का रजिस्ट्रेशन नंबर डाल लिया था। तार चोरी कर ले जाते वक्त डीसीएम पर दिल्ली का नंबर था। टोल प्लाजा के कैमरों की फुटेज देखी गई तो शातिरों के इस खेल का पता लगा।
पुलिस, वाणिज्य कर से बचने के लिए फर्जी कागजात
आरोपितों ने पुलिस, वाणिज्य कर टीम और आरटीओ से बचने के लिए फर्जी कागजात भी बनवाए थे। टेलीफोन कंपनियों के नाम से बिल्टी व अन्य दस्तावेज भी तैयार कर लेते थे। फर्जी आइडी कार्ड दिखाकर बच जाते थे।
Disclaimer : इस न्यूज़ पोर्टल को बेहतर बनाने में सहायता करें और किसी खबर या अंश मे कोई गलती हो या सूचना / तथ्य में कोई कमी हो अथवा कोई कॉपीराइट आपत्ति हो तो वह [email protected] पर सूचित करें। साथ ही साथ पूरी जानकारी तथ्य के साथ दें। जिससे आलेख को सही किया जा सके या हटाया जा सके ।