लखनऊ। गोमती नदी के किनारे फैली गंदगी को लेकर जिन चार अधिकारियों की लापरवाही से नगर निगम पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दो करोड़ का हर्जाना लगाया, उन्हीं अफसरों से इसकी भरपाई की जाएगी। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की समधन अम्बी बिष्ट भी शामिल हैं।
चारों को नोटिस जारी करने के लिए नगर आयुक्त ने अपर नगर आयुक्त को निर्देश दिए हैं। एनजीटी को नदी के आसपास सफाई व्यवस्था सही न मिलने, तट के किनारे कूड़ा कचरा पड़ा होने और नालों की गंदगी गोमती में जाने को लेकर एनजीटी ने नगर निगम पर दो करोड़ रुपये का पर्यावरणीय हर्जाना लगाया था।
एक महीने पहले एनजीटी ने निगम को गोमती तटों के आसपास से कचरा हटाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद निगम प्रशासन ने दिखावे के लिए सफाई तो कराई, पर तटों से कचरे को हटाने का काम सही से नहीं किया।
नगर आयुक्त इंद्रमणि त्रिपाठी ने जिम्मेदार मुख्य अभियंता सिविल एसपी सिंह, मुख्य अभियंता विद्युत यांत्रिक राम नगीना त्रिपाठी, जोनल अधिकारी जोन तीन राजेश गुप्ता और जोनल अधिकारी जोन छह अम्बी बिष्ट पर 50-50 लाख रुपये की वसूली के निर्देश दिए हैं।
नगर आयुक्त का कहना है कि जिनकी लापरवाही से हर्जाना लगा, उन्हीं अधिकारियों से बराबर-बराबर क्षतिपूर्ति की वसूली होगी। इसे लेकर अपर नगर आयुक्त अमित कुमार को निर्देश दिए गए हैं कि इस संबंध में 3 दिन में स्पष्टीकरण तलब कर हर्जाना जमा कराएं।
गोमती नदी में बढ़ते प्रदूषण से नाराज नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की अनुश्रवण समिति ने प्रदेश की योगी सरकार से 100 करोड़ रुपये की गारंटी जमा कराने की सिफारिश की है। अनुश्रवण समिति के चेयरमैन जस्टिस डीपी सिंह ने एनजीटी को भेजी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि गोमती नदी की सफाई और एनजीटी के आदेशों के अनुपालन की गारंटी के लिए यह फंड जमा कराया जाए। साथ ही यह भी कहा है कि अगर 2 साल में गोमती साफ नहीं हुई तो इस राशि को हर्जाने के तौर पर जब्त कर लिया जाए।
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