Home राष्ट्रीय महाराष्ट्र-आंध्र व तेलंगाना में मिला था वायरस , UP की सीवेज जांच...

महाराष्ट्र-आंध्र व तेलंगाना में मिला था वायरस , UP की सीवेज जांच में नहीं मिला कोरोनावायरस

6
0

[object Promise]

लखनऊ, संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट (एसजीपीजीआइ) की माइक्रोबायोलॉजी लैब में प्रदेश के विभिन्न शहरों से लिए गए सीवेज के नमूनों में कोरोनावायरस की मौजूदगी नहीं मिली है। जबकि महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना जैसे राज्यों के सीवेज वाटर में कोरोनावायरस पाए जा चुके हैं। यूपी के सीवेज में अब तक कोरोनावायरस नहीं मिलने से बड़ी राहत महसूस की जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार सीवेज के यह नमूने कोरोना के लिए नहीं, बल्कि पोलियो वायरस की मौजूदगी का पता लगाने के लिए संकलित किए गए थे।लिहाजा पोलियो और कोरोनावायरस दोनों की ही जांच की गई।

[object Promise]
लखनऊ-गोरखपुर और मिर्जापुर-प्रयागराज समेत छह बड़े शहरों के लिए गए नमूने। एसजीपीजीआइ में हुई नमूनों की जांच में पोलियो फैलाने वाले वायरस भी नामौजूद। अब तक छह बड़े शहरों के नमूने जांचे जा चुके हैं लेकिन किसी भी शहर के सीवेज सैंपल में कोरोनावायरस नहीं पाए गए।

रिपोर्ट के अनुसार किसी भी नमूने में कोरोनावायरस नहीं पाए गए। साथ ही पोलियो की बीमारी फैलाने वाले वायरस भी नहीं मिले। एसजीपीजीआइ में माइक्रोबायोलॉजी की विभागाध्यक्षा डॉ उज्ज्वला घोषाल ने बताया कि इन नमूनों को पोलियो वायरस की जांच के लिए भेजा गया था। इसी नमूने की जांच से कोरोनावायरस की मौजूदगी का भी पता लगाया गया। अब तक छह बड़े शहरों के नमूने जांचे जा चुके हैं, लेकिन किसी भी शहर के सीवेज सैंपल में कोरोनावायरस नहीं पाए गए। उन्होंने बताया की सीवेज सेंपलिंग में टाइमिंग का रोल अहम है। क्योंकि अब तक की जांच व विश्लेषण से पता चला है कि सीवेज के पानी में दो से चार दिनों में कोरोनावायरस स्वतः नष्ट हो जाते हैं। इसकी वजह यह है कि सीवेज के पानी में डिटर्जेंट और साबुन के तत्वों की अधिकता होती है। इसलिए हो सकता है कि सैंपलिंग करते वक्त वायरस पहले से ही खत्म हो चुके हों। इसलिए अभी अन्य जगहों के नमूने भी लेकर जांचे जाएंगे। तभी किसी अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकेगा।

इन शहरों के लिए गए 11 नमूने

प्रदेश में जिन छह बड़े शहरों के सीवेज के नमूने एसजीपीजीआइ में जांचे गए, उनमें लखनऊ, गोरखपुर, मिर्जापुर, प्रयागराज वाराणसी और आगरा शामिल हैं। इसमें ज्यादा सबसे लखनऊ के चार ( घंटाघर, रूपपुर खदरा, मछली महाल, आरसीएच सीवेज) गोरखपुर से एक (एमएलडी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट), मिर्जापुर एक (पक्का पोखरा ट्रीटमेंट प्लांट), वाराणसी से दो (कोनिका पंपिंग स्टेशन व चौकाघाट) व प्रयागराज से दो (गऊघाट और घाघर नाला) नमूनों समेत कुल 11 सैंपल लिए गए थे।

जनसंख्या घनत्व व कुल कोरोना पॉजिटिव से हो सकेगा सही विश्लेषण

लोहिया संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक डॉ विक्रम सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश के शहरों में अब तक जांचे गए सीवेज वाटर में कोरोनावायरस नहीं मिलने और महाराष्ट्र के मुंबई, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से लिए गए सीवेज वाटर में कोरोनावायरस की मौजूदगी का मायने अलग-अलग है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी यह है कि जिस जगह से नमूने लिए गए वहां का जनसंख्या घनत्व क्या है और उस क्षेत्र में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या लगभग कितनी है?… हो सकता है जहां के सीवेज वाटर में कोरोनावायरस पाए गए, वहां कोविड-19 मरीज अधिक संख्या में रहे हों और जहां के सीवेज वाटर में वायरस नहीं मिले, वहां कोविड-19 मरीज नहीं रहे हों। इसलिए इन सभी तथ्यों को शामिल करते हुए इस पर अभी आगे स्टडी की जरूरत है।

Text Example

Disclaimer : इस न्यूज़ पोर्टल को बेहतर बनाने में सहायता करें और किसी खबर या अंश मे कोई गलती हो या सूचना / तथ्य में कोई कमी हो अथवा कोई कॉपीराइट आपत्ति हो तो वह [email protected] पर सूचित करें। साथ ही साथ पूरी जानकारी तथ्य के साथ दें। जिससे आलेख को सही किया जा सके या हटाया जा सके ।