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मेरठ : पालीहाउस और ड्रिप से खेती करने के मॉडल को किसानों ने सराहा

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मेरठ, सरदार बल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय मोदीपुरम में तीन दिवसीय विराट कृषि मेले व प्रदर्शनी का समापन हो गया। प्रदर्शनी में उद्यान विभाग ने पालीहाउस यानि संरक्षित खेती करने के तरीके को माडल बनाकर शानदार तरीके से प्रस्तुत किया। साथ ही उन्होंने ड्रिप सिंचाई विधि से पर क्राप मोर क्राप विधि को जल संरक्षण पर जोर देते हुए किसानों को समझाया।

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मेरठ में सरदार बल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय में उद्यान विभाग के उप-निदेशक पंकज कुमार ने बताया कि पालीहाउस को संरक्षित खेती के नाम से जाना जाता है। यह कम कृषि भूमि वाले किसानों के लिए बेहद फायदेमंद विकल्प है।

इसकेे अलावा मधुमक्खी पालन, फल, फूलों व सब्जियों की खेती के बारे में मेले में आए किसानों को विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उद्यान विभाग ने अपने स्टाल को विभिन्न रंग-बिरंगे फूलों की सहायता से आकर्षक तरीके से सजाया था।

पालीहाउस यानि संरक्षित खेती का तरीका

उद्यान विभाग के उप-निदेशक पंकज कुमार ने बताया कि पालीहाउस को संरक्षित खेती के नाम से जाना जाता है। यह कम कृषि भूमि वाले किसानों के लिए बेहद फायदेमंद विकल्प है। एक एकड़ के पालीहाउस लगाकर विभिन्न फूलों, सब्जियों व फलों की शानदार खेती की जा सकती है। इसमें मुख्य तौर पर महंगी सब्जियों व फूलों का उत्पादन होता है। फूलों में गुलाब, जरबेरा, लीलियम व रजनीगंधा मुख्य रूप से लगाया जाता है। जबकि सब्जियों में खीरा, लाल पीली शिमला मिर्च व टमाटर की खेती पालीहाउस में गुणवत्ता के साथ की जाती है। उद्यान विभाग के अनुसार, मेरठ जिले में वर्तमान में 46 हेक्टेयर में पालीहाउस की खेती की जा रही है। पालीहाउस लगाने पर सरकार 50 फीसद अनुदान दे रही है।

स्ट्राबेरी, गाजर, गोभी स्टाल पर रही मौजूद

जिला उद्यान अधिकारी मेरठ आरएस राठौर ने बताया कि उद्यान विभाग के स्टाल पर स्ट्राबेरी, गाजर, मूली, ब्रोकली, फूलगोभी, मटर, मूली, आलू व लाल पीली शिमला मिर्च आदि कई तरह की सब्जियों के अलावा कई प्रकार के फूलों के गुलदस्ते लगाए गए थे। किसानों ने बागवानी की खेती में रूचि लेते हुए अनेकों सवाल किए। उन्होंने बागवानी में विभिन्न प्रकार की खेती करने के तरीकों को विस्तारपूर्वक जाना। इसके अलावा किसानों को मधुमक्खी पालन की जानकारी भी दी गई। टिश्यू कल्चर से केले की खेती के बारे में भी किसानों को जानकारी दी गई।

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