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जानिए क्यों कुशीनगर में एक दिन के लिए लोग गांव छोड़ बगीचे में रहने को हो जाते हैं मजबूर

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पडरौना,कुशीनगर : जिले के नेबुआ नौरंगिया ब्लाक के ग्राम रायपुर खास टोला चंदन बरवा के सभी लोग शुक्रवार  को चैत्र नवरात्र के रामनवमी की सप्तमी तिथि को गांव छोड़कर बागीचे में डेरा जमाए हैं। गांव वालों का कहना है कि सैकड़ों साल पहले गांव में महामारी आई थी और बहुत लोगों की जान गई थी। एक महात्मा ने बताया था कि देवी का शाप है। इससे मुक्ति पाने के लिए नवरात्र के पंचमी को युवाओं से भिक्षाटन करने और रामनवमी की सप्तमी तिथि को गांव छोड़कर देवी को मनाने की सलाह दी थी। इस परंपरा को गांव वाले तभी से निभाते हैं।

शुक्रवार की सुबह-सुबह बिना गांव का पानी पीये लोग बाहर एक बागीचे में टेंट तानकर गांव छोड़ दिए। दिन में सतुआ खाया और एक दिन पहले भिक्षाटन से मिले अनाज का शाम को बागीचे में ही भोजन बनेगा। अंधेरा होने पर भोजन कर गांव वापस लौटेंगे। गांव के लोगों के अनुसार अगर एक दिन की नवविवाहिता गांव आती है तो उसे भी बाहर ले जाया जाता है। गांव में इस दिन एक बच्चा तक नहीं रहता।

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