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जानें डेफिसिट फाइनेंसिंग के विषय में

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बिजनेस: बजट एक ऐसी विधि है जिसके माध्यम से हम अपने खर्च को संतुलित करते हैं और सालाना हमारे खर्च में कितना धन व्यय होगा इसका लेखा जोखा तैयार करने रखते हैं। जब हम अपने खर्च का पहले से बजट बनाकर रखते हैं तो हमें आर्थिक समस्या से नहीं जूझना पड़ता है। 

वही केंद्र व राज्य सरकार हर साल सदन में अपना बजट पेश करती हैं। सरकार का बजट जब पेश होता है तो कई भारी-भरकम शब्दों का उसमे उपयोग होता है। कई शब्द तो हम समझ जाते हैं लेकिन कुछ शब्द ऐसे भी होते हैं जिनको समझना हमारे वश का नहीं होता है। 

ऐसा की एक शब्द जो बजट सत्र के दौरान उपयोग किया जाता है वह है डेफिसिट फाइनेंसिंग। डेफिसिट फाइनेंसिंग क्या है और इसका उपयोग कब किया जाता है यह बहुत से लोगों को मालूम ही नहीं होता है। लेकिन आज हम आपको डेफिसिट फाइनेंसिंग टर्म के विषय में सम्पूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं। 

जानें क्या है डेफिसिट फाइनेंसिंग –

बजट में सरकार की आय और व्यय का सम्पूर्ण विवरण दिया होता है। बजट में सरकार का खर्च जब उसकी आमदनी से अधिक दिखाई देता है तो वह घाटा कहलाता है। इस घाटे की भरपाई के लिए जो विधि उपयोग की जाती है उसे डेफिसिट फाइनेंसिंग कहते हैं। सरकार घाटे की भरपाई के लिए या तो नए नोट छापती है या फिर कर्ज के माध्यम से इसकी भरपाई करती है। 

क्यों जरूरी है डेफिसिट फाइनेंसिंग –

जब कोई देश विकास के पथ पर आगे बढ़ता है तो विकासशील देश के समक्ष खड़े होने के लिए देश को धन की आवश्यकता पड़ती है। लेकिन जब गैर सरकारी संस्थान इन खर्चो से बचने लगते हैं तो सरकार वित्तीय संसाधन जुटाने का प्रयास करती है। जिसके लिए डेफिसिट फाइनेंसिंग अत्यंत आवश्यक है। 

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