डेस्क। गर्मी का मौसम आते ही मच्छरों की गिनती बढ़ने लगती है। आस पास मच्छरों की तादात का बढ़ना मतलब बीमारियो का बढ़ना हैं। साइंस की माने तो इंटेटनाशनली मच्छर आपको बीमार नहीं करते। क्या आप इस रोचक तथ्य को जानते हैं कि मच्छर जो आपको काटते हैं उनमें सिर्फ मादा मच्छर ही होते हैं नर मच्छर कभी किसी को नहीं काटते।
साथ ही यह भी जान लीजिए कि मादा मच्छर कभी आप को बीमार करने के लिए नहीं काटती, दरअसल मच्छरों को प्रजनन हेतु खून की आवश्यकता होती है इसलिए वह अक्सर आपको काटते हैं। इसी के साथ बता दें कि मच्छर कभी भी किसी को बीमार नहीं करते बल्कि उनके डंक और बदन पर मौजूद बैक्टीरिया और वायरस आपकी बॉडी में इंटर होकर बीमारियों का कारण बनते हैं।
मच्छरों से निजात पाने के लिए आपने काफी कुछ किया होगा कभी कॉइल जलाई होगी, मच्छरदानी और मॉस्किटो लोशन का भी प्रयोग किया होगा। अगर हम आपको बताएं कि अब आपको मच्छर भगाने के लिए यह सब नहीं करना होगा बस मच्छरों को भगाने के लिए आप कुछ अलग टाइप के मच्छर छोड़ दीजिए यह सुनने में जितना अजीब है उतना ही दिलचस्प भी।
साथ ही यह आने वाले समय में सच होने वाला है दरअसल अमेरिका के फ्लोरिडा और टैक्सस शहर में प्रोजेक्ट 5034 GM पर काम किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत यूके की ऑक्सीटेक कंपनी एक अलग किस्म के मच्छर बनाने पर काम कर रही है इन मच्छर के जीनोम प्रोटीन में कुछ चेंजेस किए जाएंगे जिसके बाद नर मच्छरो का फीमेल मच्छरों से इंटरकोर्स होगा और धीरे-धीरे करके सारे मच्छर एक ही तरह के जीनोम के हो जाएंगे।
क्या होंगी इन स्पेशल मच्छरों की खासियत
लैब में तैयार किया किए गए नर मच्छरों की फीमेल मच्छरों से मेटिंग कराई जाएगी जिसके बाद नर मच्छरों के अंदर मौजूद प्रोटीन फीमेल मच्छरों में ट्रांसफर हो जाएगा इस कारण फीमेल मच्छर व्यस्क होने और काटने लायक होने से पहले ही मर जाएंगी। इसी के साथ धीरे-धीरे करके सभी मच्छर इन स्पेशल मच्छर से रिप्लेस हो जाएंगे। और मच्छरों के काटने और उनसे बीमारियां फैलने जैसी समस्याओं का भी सफाया हो जाएगा।
बीते दिनों अमेरिका में मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियां बड़े पैमाने पर फैली। जिसके बाद सरकार ने इस प्रोजेक्ट को शुरू करने का फैसला लिया। वही यूएस गवर्नमेंट के इस फैसले को कई एनिमल एक्टिविस्ट और इकोसिस्टम विशेषज्ञों के द्वारा फूड चेन को अस्त-व्यस्त करने और एनिमल राइट्स का उलंघन करार दिया जा रहा है। कयास लगाए जा रहे हैं कि अमेरिका में इस प्रोजेक्ट के लॉन्च होने के साथ ही भारत समेत दुनिया के कई अन्य देश भी इसे अपना सकते हैं।
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