डेस्क। आगामी 18 जुलाई को देश के राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए ने आदिवासी चेहरे द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाकर बड़ा दाव चला है। बता दें द्रौपदी मुर्मू को ऐसे में एनडीए में शामिल दलों का समर्थन तो मिल ही रहा है, साथ ही साथ अन्य दल भी अल्पसंख्यक चेहरे का विरोध कर जनता की मार से बचते हुए उनका समर्थन कर रहे हैं।
इसी कड़ी में बता दें कि शिवसेना के दो गुटों में से एकनाथ शिंदे गुट ने भी द्रोपदी मुर्मू को समर्थन देने का ऐलान किया है। यह NDA के लिए बेहद ही खुशी की बात है तो वहीं इसने उद्धव ठाकरे की मुश्किलें और भी बढ़ा दीं हैं।
बता दें कि शिंदे गुट के इस ऐलान के बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की स्थिति काफी असहज नज़र आ रही है। जहां विपक्ष ने चुनाव में अपनी तरफ से यशवंत सिन्हा को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। ऐसे में यह देखने की उत्तेजना बढ़ती जा रही है कि कांग्रेस और एनसीपी के साथ महाराष्ट्र में सरकार में शामिल रही उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना किसका समर्थन करेगी, इसको अगर उद्धव की अग्निपरीक्षा कहा जाए तो भी ये गलत नहीं होगा।
बता दें कि बीते दिनों शिवसेना के एक सांसद ने पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से द्रोपदी मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा का आग्रह भी किया था। पर इसी बीच उद्धव सरकार राजनीतिक उठापटक और दलबदल का शिकार होती नजर आईं। इसी कड़ी में आपको बता दें कि पार्टी के एक बागी विधायक ने बुधवार को दावा किया कि 18 सांसदों में से 12 जल्दी ही एकनाथ शिंदे गुट में शामिल होने वाले हैं।
ये भी जान लीजिए: निर्वाचन क्षेत्र जलगांव जिले में मीडिया से बात करने के दौरान उद्धव के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार में मंत्री रहे गुलाबराव पाटिल ने कहा, “हमारे (बागी खेमे के) पास 55 में से 40 विधायक हैं, और 18 में से 12 सांसद। आगे उन्होंने कहा कि उनमें से चार सांसदों से मैं व्यक्तिगत तौर पर मिल भी चुका हूं। हमारे साथ 22 पूर्व विधायक भी हैं।”
महाराष्ट्र विधानसभा में अल्पमत में आए शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट ने इसको गंभीरता से लेते हुए लोकसभा में नया मुख्य सचेतक भी नियुक्त किया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने बुधवार को लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर बताया कि भावना गवली की जगह राजन विचारे अब मुख्य सचेतक होंगे।
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