UNDP On Indian Economy: देश विकास के पथ पर तीव्रता के साथ आगे बढ़ रहा है। विकसित देश भारत के पराक्रम की खूब सराहना कर रहे हैं। पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने विकास के नए आयाम स्थापित किये हैं। भारत की अर्थव्यवस्था (UNDP On Indian Economy) के लगातार सुधार हो रहा है। UNDP की रिपोर्ट ने बताया है कि भारत की अर्थव्यस्था में लगातार सुधार हो रहा है। अर्थव्यस्था के मामले में 10 शीर्ष देशों की लिस्ट में भारत पांचवें स्थान पर आ गया है।
विकास की जो गति भारत में देखने को मिल रही है उसके आधार पर आगामी समय में भारत कई देशों को पछाड़ कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश के रूप में उभरेगा। लेकिन इस सबके बीच भारत में गरीबी भी लगातार बढ़ रही है जो बेहद चिंता का विषय है। आर्थिक असमानता समाज में एकगैप पैदा कर रही है जिससे उभारना भारत के लिए अत्यधिक आवश्यक है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो भारत अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में भले भी विकास कर ले लेकिन भारत में उभर रही आर्थिक असमानता भारत को अंदर ही अंदर दीमक की भांति खा जाएगी।
क्या कहती है UNDP की रिपोर्ट:
UNDP की रिपोर्ट के मुताबिक भारत विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ा है। भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है। लेकिन भारत में कमाने वाले और न कमाने वाले के मध्य भेद उत्पन्न हुआ है। आर्थिक असमानता पहले की तुलना में अधिक बढ़ गई हैं। आज भारत उन देशों की लिस्ट में शामिल है जिनकी आय में लगातार वृद्धि हो रही है। लेकिन भारत की यह वृद्धि चिंता का विषय है क्योंकि भारत की आय बढ़ रही सम्पत्ति नहीं। यानी कुछ लोगों को धन लाभ हो रहा है। भारत की आधी से अधिक आबादी से ज्यादा सम्पत्ति भारत के 10 फीसदी लोगों के पास है। यानी जो आर्थिक विकास भारत में दिख रहा है उसका दायरा सीमित है। अमीर पहले की तुलना में अधिक अमीर हुआ है और गरीब की स्थिति जस की तस बनी हुई है।
गरीबी रेखा से उभरे लोग:
भारत में भले ही आर्थिक असमानता में इजाफा हुआ है। 10 फीसदी लोगों की आय बढ़ी है। लेकिन इसके बाद भी गरीबी रेखा के नीचे आने वाले लोगों की संख्या में कमी आई है। 2015-16 में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालों की संख्या 25 प्रतिशत जो 2019-21 तक 15 फीसदी हो गई। वही अभी देश में 18 करोड़ गरीबी रेखा के नीचे आते हैं। इन लोगों की आया 180 रूपये से कम है। वही अभी अनुमान यह भी लगाया जा रहा है कि कुछ लोग जो गरीबी रेखा के नीचे आ रहे हैं उनकी स्थिति बेहद खराब हो सकती है क्योंकि उनके पास न काम है न धन।
आर्थिक असमानता के लिए सरकार जिम्मेदार:
देश के विकास की जिम्मेदारी लेने से सरकार कभी नहीं चूकती। देश कोई बेहतर काम करता है तो सरकार उसका ठीकरा पीटने लगती है। लेकिन देश में बढ़ रही आर्थिक असमानता की जिम्मेदारी लेने से सरकार कहीं न कहीं कतराती रहती है। आज के समय में सरकार देश के लगभग 80 करोड़ लोगों को हर महीने मुफ्त में राशन दे रही है। राशन मिलने से लोग काम करने से पीछे हट गए हैं और सरकार की इस नीति ने देश में आर्थिक असमानता को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। सरकार आज भले ही मुफ्त राशन वितरण लोगों के हित या स्वयं के वोट हित के लिए कर रही है। लेकिन इसका देश पर निगेटिव प्रभाव पड़ रहा है। समाज का एक वर्ग काम करने से पीछे हट रहा है और सरकार की मुफ्त योजना देश में दीमक लगा रही है।
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