आगरा, कोरोना की जंग में एक तरफ देश के महानायक अमिताभ बच्चन का संदेश हर मोबाइल पर गूंज रहा है तो जेल में आजीवन कारावास की सजा भोग रहे अमिताभ बच्चन भी कोरोना की जंग में अपनी भूमिका को लेकर सुर्खियों में है। पिछले 12 साल से जिला जेल में बंद अमिताभ बच्चन को कोरोना के प्रति जागरूकता को लेकर तिनका तिनका अवार्ड मिला है।
शहर से सटे टापाकला गांव के रहने वाले अमिताभ बच्चन के खिलाफ 2008 में हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ था। इसके बाद जेल आया तो फिर जमानत तक नहीं हुई। अदालत ने 2009 में आजीवन कारावास की सजा सुना दी। पिछले तीन साल से अचानक अमिताभ के स्वभाव में तेजी से परिवर्तन आया और सामाजिक हो गया। कोरोना काल में जेल में कोरोना के प्रति जागरूकता अभियान में सक्रिय भागेदारी निभाई।
नशे में दुश्मन के धोखे से मार दिया था दूसरा
वारदात की रात अमिताभ को उसके दुश्मन ने अपने साथियों के साथ घेर लिया। वहां से बचकर निकलने के बाद शराब पी और दोस्त की दुकान से चाकू लेकर निकला। दुश्मन तो नहीं मिला, लेकिन अंधेरे में दुश्मन समझकर एक अजनबी को चाकू मार दिए, जिससे उसकी मौत हो गई।
एक्टिंग में भी महारत है हासिल
35 साल के जेल के अमिताभ बच्चन को एक्टिंग का भी शौक है। जेल के कार्यक्रमों में वह फौजी और सुदामा का रोल निभाकर सुर्खियां बटोर चुका है। सातवीं तक पढ़ा अमिताभ स्कूल में एक्टिंग किया करता है।
फिल्मों के शौकीन पिता ने रखा था नाम..
आठ भाई बहनों में सबसे बड़े अमिताभ अन्य किसी भाई बहन का नाम फिल्म स्टार के नाम पर नहीं है। वह कहता है कि पिता कालीचरन फिल्मों के शौकीन थे। शायद इसीलिए मेरा नाम अमिताभ बच्चन रख दिया। छोटे भाई राजाबाबू बताते हैं कि भाई को थाने में सरेंडर कराने के चार महीने बाद ही पिताजी चल बसे थे। तीन भाई और दोनों बहनों की शादी हो चुकी है।
अवार्ड में इसलिए किया गया था नामांकन
जेल अधीक्षक मो. अकरम खान बताते हैं कि तिनका-तिनका फाउंडेशन द्वारा बेहतर काम करने वाले बंदियों के लिए अवार्ड दिया जाता है। कोरोना काल में मार्च से लगातार अमिताभ बच्चन ने सुबह से शाम तक बैरिक से लेकर जेल के दफ्तर और गोदाम स्वप्रेरणा से सैनिटाइज किए। साथ ही बंदियों को जागरूक किया। इसको लेकर उसका नाम अवार्ड के लिए भेजा गया था। हमें खुशी है कि अमिताभ बच्चन को अवार्ड मिला है।
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