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रिपोर्ट उपेंद्र कुशवाहा
पडरौना,कुशीनगर : कुशीनगर में तीन तलाक से पल भर में मजाक बनीं मुस्लिम महिलाओं की खासी तादाद है। सैकड़ों महिलाएं बदनसीबी दंस अभी झेल रही हैं। हालांकि इस मामले में कुछ मुस्लिम प्रगतिशील महिलाएं इस मुद्दे पर मुखर हो रही हैं। ऐसी ही एक हैं पडरौना की सामाजिक कार्यकत्री फातिमा बेगम,जो तीन तलाक जैसी सामाजिक बुराई के प्रति महिलाओं को जागरूक कर रही हैं। वे कहती हैं कि मुस्लिम पुरुषों में चार विवाह और तीन तलाक जैसी कुरीति अब नहीं चलेगी।
गौरतलब हो कि इस मामले में खुद मुस्लिम महिलाएं भी मुखर होने लगी हैं। हलाला जैसी सामाजिक कुरीतियों का बहिष्कार व पुरुषों की मनमानी के विरोध का हो चुका है। ऐसे में सामाजिक कार्यकर्ता फातिमा बेगम कहती कि अब तीन तलाक,चार निकाह व हलाला नहीं चलेगा। उन्होंने मुस्लिम समुदाय की महिलाओं को जिल्लत की जिंदगी से बचने के लिए आगे आने का आह्वान कर रही हैं। मौजूदा व्यवस्था पर कड़ा प्रहार करते हुए मुल्ला और मौलवी को इस नियम को लागू करने के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए फातिमा बेगम कहती हैं कि अल्पसंख्यक समुदाय पुरुष प्रधान है।
इस धर्म में महिलाओं को केवल वस्तु समझा जाता है। भारत के संविधान में लैंगिक आधार पर भेदभाव की अनुमति नहीं है। देश में मुस्लिम समाज पिछड़ेपन का शिकार है और अल्पसंख्यक महिलाओं की हालत काफी दयनीय है। पुरुष प्रधान व्यवस्था ने कुरान व हदीश की गलत व्याख्या कर महिलाओं को असहाय बना दिया है। उन्होंने केंद्र सरकार से ऐसे नियम व कानून को बदलने की मांग की और चेतावनी दी कि शीघ्र ही कुशीनगर की महिलाएं मौजूदा व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष का एलान करेंगी।
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