Home उत्तर प्रदेश खुफिया तन्त्र फेल , इण्डो-नेपाल बार्डर पर सक्रिय है तस्कर

खुफिया तन्त्र फेल , इण्डो-नेपाल बार्डर पर सक्रिय है तस्कर

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लखीमपुर / पलियाकलां खीरी । इंडो.नेपाल बॉर्डर पर नहीं थम रहा अवैध तस्करी  कारोबारएसरकारी खुफिया तंत्र फेलण्ण् तीसरी आँख अर्से से खराब एकस्टम व जिम्मेदार नही ठीक करा रहे खराब कैमरा तस्कर मस्तघ्  पुलिस की मेहरबानी की वजह से तस्कर कर रहे मौजए नामजद 5 लोगो की नहीं हो रही गिरफ्तारी? इंडो.नेपालबॉर्डर पर नहीं थम रहा अवैध कारोबारएसरकारी खुफिया तंत्र फेलण्ण्
इंडोनेपाल बार्डर पर कई खुफिया एजेंसियों की तैनाती होने के बावजूद भी तस्करी पर लगाम नहीं लगा पा रहे हैं।जिससें सीमा पर मुस्तैद जांच एजेंसियों पर उंगली उठना लाजमी हैं।जिससें तस्करों का मनोबल बढ़ता ही जा रहा हैं।खुलेआम घूम रहे तस्करों पर अभी तक पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किये जाने पर क्षेत्र के लोगों में रोष हैंस उत्तर.प्रदेश में गुटखा पर बैन लगा है फिर भी नेपाली गुटखा नेपाल से धड़ल्ले से आ रहा है और भारतीय बाजार में बिक रहा है। सिर्फ गुटखा ही नहीं नेपाली सिगरेट खुकुरी भी भारतीय बाजार में बिक रही है। आखिर ये आता तो बॉर्डर से ही है इससे साबित होता है कि कहीं न कहीं प्रशासन इन तस्करो से मिला हुआ है। सीमा पर मौजूद एजेंसी कही नेपाल जा रहे कपड़े की गाँठ या अन्य माल को खोलकर चेक करना शुरू कर देती हैं तो इसमें सलिप्त कारोबारी व्यापारी उत्पीडन का एजेंडा बनाकर एजेंसी के उच्चाधिकारियों को गलत बातें बताकर उलटा ही विभाग के अधिकारियों पर दबाव बनाना शुरू कर देते हैं। पिछले करीब चार माह में कुछ इस तरह का दबाव एसएसबी टीम पर देखने को भी मिल रहा हैं। कस्टम से बने कागज की आड़ में पैंतरे बाजी से ही सीमा पर तस्करए कारोबारियों की हो रही दिन दुगनीएरात चौगुनी तरक्की हो रही हैं। तिकुनिया बार्डर के कारोबारी हो या तस्कर इनके तार इतने लंबे हैं कि सीमा पर मौजूद एजेंसी नेपाल जा रहे इनके किसी भी प्रकार के माल को चेक करने का जरा सा प्रयास करे तो नीचे से  बैठे जिले तक के अफसरों के मोबाइल फोन बजने शुरू हो जाते हैं। लेकिन ये फोन तस्करों या कारोबारियों का नही होता बल्कि इनके द्वारा महीने के पगार पर सेट कुछ जिम्मेदार व्यक्तियों का होता हैं। जिस पर जनता विश्वास करती हैं। सूत्र बताते है कि कस्टम से पास कपडों के गाँठ नेपाल तो जाते हैं लेकिन इन दर्जनों गांठो में ही सबसे नीचे किसी एक.दो गांठो में प्रतिबंधित वस्तुओं की पैकिंग होती हैं।जिससे नेपाल पहुँच जाने के बाद कारोबारियों व तस्करों की मोटी कमाई होती हैं। एसएसबी अगर इन गाँठो को खोलकर चेक करना शुरू कर दे तो जरा सी देर में इन एजेंसियों पर दबाव पड़ना शुरू हो जाता हैं। महीने पर सेट पगार पाने वाले लोग जिले के अफसरों को फोन कर बताते हैं। कि सीमा पर मौजूद एजेंसी कस्टम पास माल को खोलकर जबरन चेक कर व्यापारियों का उत्पीड़न कर रही हैं।एसएसबी का खुद कहना हैंएकि जिले के अफसरों को फोन कर गलत ही जानकारी कुछ लोग देते हैंएजिससे टीम को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं।वही बार्डर तिकुनिया का कस्टम विभाग बिना किसी माल को चेक किये ही केवल रसीद लेकर जाने वाले माल का कस्टम बना देती हैं।इसी का फायदा ऊठाकर कारोबारी या तस्कर कस्टम बनने के बाद माल बने गांठो के अंदर प्रतिबंधित वस्तुओँ को रखकर ये गोरखधंधा करते हैं।और इंडोनेपाल बार्डर पर यह करोबार फल.फूल रहा हैं।सीमा पर तैनात एसएसबी टीम को करोबारियों की इन्ही हरकतों की वजह से काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं।पिछले कुछ माह में एसएसबी ने नेपाल जा रहेएभारतीय कपड़ाएसाईकिल के पुर्जेएआदि माल को चेक करना शुरू किया था।तो व्यापारियों के उत्पीड़न का मामला प्रकाश में आया था।और नीचे पैक सामानों को खोलने तक नही दिया गया और कस्टम की आड़ का फायदा उठाकर आखिर में सामान आसानी से नेपाल चला भी गया था। बताते चले कि बीती 18 जुलाई को नेपाल जा रहा 2 करोड़ का कपड़ा सीमा पर पकड़ा गया था। जिसे कोतवाली तिकुनियां में रखा गया था।तथा पांच लोगों के विरुद्ध जाँच के बाद नामजद मुकदमा भी दर्ज किया गया था।यहीं नहीं तस्करों द्वारा जो कपड़ो की रशीदध्बिल लगाकर कस्टम विभाग से भी रशीद प्राप्त कर लिए थे।पुलिस की जाँच में पता चला की तस्करों द्वारा जो कपड़ों की रशीदध्बिल लगाये थे।वह कानपुर फर्म के नाम की थी।वह फर्म को बंद हुए कई साल हो गये थे।यह पता चलने पर पुलिस के पैंरों तले जमीन खिसक गयी थी।लेकिन कोतवाली तिकुनियां पुलिस ने अभी तक किसी भी नामजद को पकड़ने का साहस नही किया हैं।जिससे पुलिस विभाग पर भी सवालिया निशान उठने लगे हैं।सवाल यह भी है कि जब सब कुछ जाँच में तस्करों के बिल गलत पाये गये तो उनके ऊपर अभी तक पुलिस मैहरबान क्यों हैं। जानकर बताते हैंएकि ओरिजनल बिल आते हैं।उनमे बड़ा एमाउंट होता हैं।जिसपर कस्टम नही बन पाता तो संगठित गिरोह के लोग खुद बिल छपवाकर कम मूल्य के बिल बनाकर कस्टम आसानी से बनवा लेते हैं।सूत्र बताते हैंएकि मारियाघाट पर अब भी तस्करों द्वारा तस्करी का धंधा बे.रोकटोक के जारी हैं।

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