पडरौना,कुशीनगर : जिले में इधर दो दिनों तक हुई मूसलाधार बारिश के बाद कुशीनगर में बड़ी गंडक नदी का जलस्तर बढ़ गया है। इससे नदी अभी से ही ठोकरों पर दवाब बनाने लगी है। दबाव बढ़ने के बाद नदी बैकरोलिंग के कारण तेजी से कटान भी कर रही है। कटान देख बंधे के आसपास बंसे गांवों के ग्रामीण सकते में आ गए हैं।
एपी तटबंध के बरवापट्टी गांव के पास किमी शून्य पर जलस्तर बढ़ने के कारण कटान तेज हो गया है। ठोकरों के साथ-साथ किसानों की जमीन भी नदी के आगोश में समा रही है। बीते वर्ष इसी जगह पर नदी ने अपना भयानक रूप अख्तियार कर लिया था और मेन बंधे को अपना निशाना बनाया था।
एपी तटबंध के बरवापट्टी गांव के पास किमी शून्य पर जलस्तर बढ़ने के कारण कटान तेज हो गया है। ठोकरों के साथ-साथ किसानों की जमीन भी नदी के आगोश में समा रही है। बीते वर्ष इसी जगह पर नदी ने अपना भयानक रूप अख्तियार कर लिया था और मेन बंधे को अपना निशाना बनाया था।
नदी के विकराल रूप को देख बरवापट्टी, कैथवलिया, खैरटिया, गोबरहा, बिचपटवा, कौवाखोह के ग्रामीणों में खलबली मच गई थी। लेकिन सिंचाई विभाग ने समय से बचाव कार्य को पूरा किया, जिससे मेन बांध को बचा लिया गया था।
मंत्री के दौरे के बाद चार परियोजनाओं को मिली थी स्वीकृति
उसी समय प्रदेश सरकार की मंत्री स्वाति सिंह का दौरा हुआ था और इस आपदा से बचने के लिए चार परियोजनाओं पर कार्य करने के लिए आदेश दिया गया। कुछ ही दिन बाद धन भी अवमुक्त हो गया, लेकिन बीते अगस्त से लेकर आज तक चार परियोजनाओं की कौन बात करें, किसी पर भी काम नहीं शुरू हो सका।
काश्तकारों की जमीन को नदी लेने लगी आगोश में
बाढ़ बचाव परियोजनाओं पर काम न होने के कारण किमी शून्य पर नदी ने अभी से अपना निशाना ठोकरों पर बनाना शुरू कर दिया है। नदी कटान कर काश्तकारों की जमीन को भी अपने आगोश में लेने लगी है। बावजूद इसके बाढ़ विभाग चुप्पी साधे हुए बैठा है।
विभाग का तर्क, बैकरोलिंग की वजह से होती है हल्की कटान
बाढ़ खंड के अधिशासी अभियंता भरत कुमार ने बताया कि जो परियोजना बनी थी, उस पर कार्य भी हुआ है। लेकिन बीच में कुछ तकनीकी गड़बड़ी की वजह से काम नहीं हो सका था, जो इस समय चालू है। बैकरोलिंग की वजह से हल्की कटान तो होती रहती है। इसमें घबराने की बात नहीं है।
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