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प्रेम क्यों बनता जा रहा है पीडा

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Lifestyle:- कहते है प्रेम सुख की दूसरी अनुभूति है जहां हर व्यक्ति खुशी का अनुभव करता है। लेकिन जब हम आज कल के लोगों को देखते है तो यह प्रेम की परिभाषा के मूल पर एकदम खरे नही उतरते हैं। क्योंकि प्रेम जो की सुख का प्रतीक है। यह समपर्ण के भाव को दर्शाता है। यह जीवन को एक नया आधार प्रदान करता है। लेकिन वर्तमान में लोग इससे व्यथित और परेशान क्यों आजकल ये लोगों की पीड़ा का कारण क्यों बन रहा है.

जहां 12 वर्ष के बच्चे का मन किताबों की दहलीज पर होना चाहिए वहीं उसका मन प्रेम से मिले दर्द को संभालने में लगा है बड़ी अजीब बात जहां इस उम्र में लोग खुद को नहीं संभाल पाते वहां बच्चे प्रेम को संभाल रहे हैं और उसको परिभाषित भी कर रहे हैं और उनकी परिभाषाओं को सुनकर मेरे कर्ण के पर्दे स्थिर से हो जा रहे हैं कि मैं आज तक इसका एक अंश न समझ पाई और मेरे पीछे ओर मेरे साथ की पीढ़ी इसको जी रही है पर उनके प्रेम का तरीका बड़ा अजीब है .
जिसे देख कर मुझे बस यही लगता है वह उनके लिये भले ही प्रेम हो पर वास्तव में वह प्रेम नहीं बल्कि समय की बर्बादी करने वाला एक साधन हैं और जिस प्रेम को वो परिभाषित करते हैं वो शायद दर्द का कारण इसीलिए भी बन रहा है क्योंकि वह प्रेम को अनुभव नहीं कर रहे बल्कि एक संसाधन का उपयोग कर रहे हैं जिसका एक निश्चित मुकाम पर पंहुचने के बाद खराब होना जाहिर है। आज एक अजीब किस्सा आँखों के सामने था.
 जहां ये प्रेम रूपी वाहन पर एक व्यक्ति इस प्रकार सवार था मानो यह वाहन उसके लिये सर्व सुखदायी है इसकी चकाचौंध उसपर इस कदर हावी थी कि उसके आप पास का वातावरण उसके लिये शून्य था पर कुछ समय बाद उसके इस प्रेम रूपी वाहन की मशीन में शायद कुछ खराबी आ गई और वह अपने सर्व सुखदायी सुख से दुख की और बढ़ने लगा । 
उसके इस बदलते स्वभाव ने कई सावल तो जहन में जगा दिये हैं पर इनके जवाब की अभिलाषा मैं किसी से नहीं करती क्योंकि इसका जवाब वहीं दे सकता है जो इस वाहन के स्पर्श में न होकर प्रेम को समझता हो और जो प्रेम को समझता होगा वो स्वयं इस वाहन की लोकप्रियता की वजह जरुर खोज रहा होगा ।।

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