देश– जोशीमठ में हुए भू धंसाव को लेकर हर ओर हल्ला मचा हुआ है। केंद्र सरकार यह दावा कर रही है कि उन्हें लोगों की सुरक्षा का पूरा खयाल है। वह लगातार उनके हित हेतु कदम उठा रहे हैं। वही इस भू धंसाव ने एनटीपीसी के 520 मेगावाट का तपोवन-विष्णुगाड़ पनबिजली प्रोजेक्ट को संकट में डाल दिया है।
क्योंकि जोशी मठ के लोगों का कहना है कि एनटीपीसी के इस प्रोजेक्ट की वजह से आज उनके ऊपर यह संकट आया है। लगातार इस प्रोजेक्ट की आलोचना हो रही हैं। जिसके बाद अब जांच आरम्भ हो गई है।
जल शक्ति मंत्रालय की हायपर एक्सपर्ट कमिटी जांच कर रही है। वहीं रुड़की के राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआईएच) के वैज्ञानिक टनल और जोशीमठ के रिसाव के पानी के नमूनों की जांच कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि दोनो नमूनों को मिलाया जाएगा और अगर यह एक ही निकले तो एनटीपीसी के प्रोजेक्ट पर ताला लग सकता है।
जाने क्या है एनटीपीसी टनल-
एनटीपीसी यहां तपोवन से लेकर विष्णुगाड़ तक 12 किलोमीटर लंबी टनल बना रही है। तपोवन एक सिरा है और विष्णुगाड़ दूसरा। बीच में ऊंची पहाड़ी के ढलान पर जोशीमठ बसा है। एनटीपीसी की योजना तपोवन में बह रही सहायक नदी धौलीगंगा के पानी से बिजली बनाने की है। ये पानी तपोवन से टनल के जरिये एनटीपीसी के पावर हाउस सेलंग तक आएगा। बिजली बनाने के बाद इस पानी को विष्णुगाड़ स्ट्रीम के रास्ते अलकनंदा नदी में छोड़ दिया जाएगा।
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