देश– चुनाव के दौरान राजनेता जनता को लुभाने के लिए कई बड़े बड़े वादे करते हैं। उनके वादों को कुछ पर तो विश्वास किया जा सकता है लेकिन कुछ वादे ऐसे होते हैं जिन्हें सुनकर हँसी आ जाती है। कि आखिर इन वादों को अगर इनकी सरकार बनी तो यह कैसे पूरा करेगे।
वही अब खोखले वादों पर लगाम कसने के लिए चुनाव आयोग ने बड़ा कदम उठाया है। चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को एक पत्र लिखकर उनसे कहा है कि वह जनता से चुनाव के दौरान खोखले वादे न करे। क्योंकि वह जो वादे करते हैं वह जनता को प्रभावित करते हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि उन वादों की प्रमाणिकता हो।
आयोग ने कहा है कि आचार संहिता दिशानिर्देश 2015 के लिए राजनीतिक दलों को चुनावी वादों के वित्तपोषण के संभावित तरीकों और साधनों के औचित्य की व्याख्या करने की आवश्यकता है। वही आयोग ने दावा किया है कि उस समय जो भी वादे किए गए उनमे स्त्यता नही थी।
वही चुनावी वादों को लेकर जो भी खुलासा हुआ है उसे अब नजरअंदाज तो नही किया जा सकता है। क्योंकि यह वादे जनता को प्रभावित करते हैं।
आयोग ने वित्त आयोग, आरबीआई, एफआरबीएम, सीएजी और बजट में उपयोग किए गए मानक मापदंडों को व्यापक रूप से कैप्चर करते हुए मिनट एक प्रकटीकरण प्रोफार्मा निर्धारित किया है. आयोग के मुताबिक, डिस्क्लोजर प्रोफार्मा में फिजिकल कवरेज की मात्रा, वादे के वित्तीय निहितार्थ और वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता की घोषणा अनिवार्य है।
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