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रहस्य। मंगल ग्रह पर पेरिस यूनिवर्सिटी की रिसर्च खोद कर ढूंढ लिया जीवन

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डेस्क। क्या पृथ्वी के बाहर भी कोई रहता है। क्या इस धरती के अलावा किसी और ग्रह पर भी जीवन है। एलियंस होते हैं या नहीं? स्पेसशिप, UFO और न जाने ऐसी कई स्पेस हाइपोथिसिस हैं जिसमें कितनी प्रमाणिकता है कोई नहीं जानता। जब भी स्पेस में जीवन की बात आती है तो सबसे बड़े दावेदार के तौर पर मंगल ग्रह का नाम आता है। इसी कड़ी में एक ऐसी खबर आई है जिसने मंगल पर जीवन होने की आशंकाओं को फिर से पुनर्जीवित कर दिया ही। 

पेरिस यूनिवर्सिटी की एक स्‍टडी में पता चला है कि 2 अरब साल पहले मंगल ग्रह पर तरल महासागर हुआ करते होंगे। इस रिसर्च में वैज्ञानिकों का कहना है कि मंगल पर तरल महासागर संभव हो सकता है अगर तापमान 4.5 डिग्री सेल्सियस से ज्‍यादा होता होगा। मंगल ग्रह पर ऐसी स्थितियां आज से करीब 3 अरब साल पहले मुमकिन थीं।

बता दें कि इससे पहले साल 2016 के एक रिव्‍यू में भी  कहा गया था कि लो सोलर रेडिएशन के कारण मंगल ग्रह की प्राचीन जलवायु बेहद ठंडी थी और एक महासागर को बरकरार नहीं रख सकती थी। इसी कारण से सब नष्ट हो गया। साथ ही साल 2021 के एक अन्य अध्ययन में कहा गया है कि मंगल ग्रह का अपना वॉर्मिंग मैकेनिज्‍म है, जो झीलों और नदियों को पनपने दे सकता है हालांकि इस रिसर्च में इसको अच्छे से नहीं समझया गया था। 

मौजूदा अध्ययन में वैज्ञानिक पृथ्वी के जलवायु मॉडल पर बेस्‍ड त्रि-आयामी मॉडल का इस्‍तेमाल करके मंगल की प्राचीन जलवायु पर अध्ययन कर रहे थे। जिसके बाद वैज्ञानिक इस निष्‍कर्ष पर पहुंचे हैं कि दो अरब साल पहले मंगल ग्रह पर महासागर हो सकते थे। वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह के उत्तरी गोलार्ध में एक महासागर की उपस्थिति होने का भी अनुमान लगाया था। 

महासागर था तो मंगल का सारा पानी कहाँ गया

इसके पीछे एक थ्‍योरी को हमेशा से रिपीट किया जाता है कि पानी के अणुओं के हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में टूटने से वह अंतरिक्ष में वाष्‍प बनकर उड़ गया। एक अध्‍ययन यह भी कहता है कि मंगल ग्रह का पानी अभी भी इसकी सतह के नीचे बर्फ के रूप में मौजूद है। 

मंगल ग्रह को लेकर कई सवाल अभी भी बरकरार हैं। मंगल जक रहस्य की तरह है। इसपर जितनी रिसर्च होती है ये उतना ही उलझता जा रहा है। यहां जीवन की खोज में लगे वैज्ञानिकों को अभी बहुत कुछ साबित करना है। उम्‍मीद है आने वाले समय में हमें कुछ और रोचक जानकारियां मिल पाएंगीं।

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