रिपोर्ट:सैय्यद मकसूदुल हसन
लखनऊ।।आजमगढ़ से चार बार सांसद व् चार बार विधायक रहे भाजपा के कद्दावर नेता रहे रमाकान्त यादव अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए है ।1985 में पहली बार निर्दलीय विधायक बने रमाकान्त यादव ने अपने राजनितिक जीवन में कई उतार चढ़ाव देखे ।1993 के विधान सभा के आम चुनाव में सपा से विधायक बने ।1996 में पहली बार सपा के टिकट पर पहली बार देश की सबसे बड़ी पंचायत के सदस्य चुने गए रमाकान्त यादव बसपा के सारथी बने और और अपने भाई उमाकांत यादव जी के साथ लोक सभा के सदस्य चुने गए।
2005 में लोक सभा की सदस्यता से इस्तीफ़ा देकर पुनः सपा में शामिल हुए ।बाद उनके द्वारा खाली की गई सीट आजमगढ़ में हुए उपचुनाव में सपा ने टिकट काट कर तत्कालीन मंत्री बलराम यादव को अपना उम्मीदवार बना दिया ।टिकट न मिलने से खफा रमाकान्त यादव निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े और कड़ी टक्कर देने के बाद बसपा के अकबर अहमद डंपी से चुनाव हार गए ।भाजपा में शामिल होने के बाद 2009 के लोक सभा चुनाव में भाजपा ने रमाकान्त यादव को अपना उम्मीदवार बनाया और एक बार पुनः भाजपा के टिकट पर लोक सभा पहुंचने में सफल रहे।
2014 के लोक सभा चुनाव में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव को कड़ी टक्कर देंते हुए पचास हजार के करीब मतो से हारे ।2017 के चुनाव में उनके पुत्र अरुण कान्त यादव भाजपा के टिकट पर विधायक बनने में सफल रहे ।रमाकान्त यादव की पूर्वांचल के कई जिलों में दलितों व् पिछड़े वर्ग में अपनी अच्छी पैठ के लिए जाने जाते है।
2019 के लोक सभा चुनाव में अपनी उपेक्षा से आहत रमाकान्त यादव शुक्रवार को अपने समर्थकों के साथ शामिल हो गए ।उनके साथ सुल्तानपुर के कद्दावर नेता व् इसौली के बसपा के विधान सभा प्रभारी राजकुमार यादव ,जगन्नाथ यादव ,अमेठी व् सुल्तानपुर की राजनीति में सक्रिय भाजपा नेता सत्य नारायण यादव दाढ़ी प्रधान सहित कई प्रमुख राजनीतिक हस्तियां शामिल है ।
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