डेस्क। रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के बीच चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने सोमवार को, यूक्रेनी समकक्ष दिमित्रो कुलेबा से कहा कि बीजिंग का मानना है कि एक संतुलित और टिकाऊ सुरक्षा तंत्र की स्थापना इस समय पूरे यूरोप के लिए महत्वपूर्ण है।
वहीं दूसरी ओर यूक्रेन की तरफ से बीजिंग से ‘युद्ध को रोकने’ में अपनी भूमिका निभाने का आग्रह किया। इसके अलावा चीनी विदेश मंत्री ने यूक्रेन को पंचशील सिद्धांत की नसीहत भी दी, बता दें कि चीन अपने इस पैंतरे पर भी कई बार भारत को धोखा दे चुका है।
बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के समय चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने अपने यूक्रेनी समकक्ष से फोन पर बात की। चीन की तरफ से दिए गए आधिकारिक बयान में बताया गया कि कुलेबा ने ‘शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांत’ या पंचशील सिद्धांत का आह्वान करते हुए कहा कि यह शांति बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण सकारात्मक शक्ति है और इस समय यूरोप के लिए महत्वपूर्ण भी।
इसी के बाद से पंचशील सिद्धांत एक बार फिर चर्चा में आ गया है। बता दें कि 1954 में पंचशील सिद्धांत ने भारत और चीन के संबंधों के तनाव को काफी हद तक दूर कर दिया था।
क्या हैं पंचशील के पांच सिद्धांत
पंचशील सिद्धांत में ‘एक दूसरे के आंतरिक मामलों में दखल ना देना’, एक-दूसरे पर आक्रमण न करना, सहअस्तित्व की नीति का पालन करना, परस्पर सहयोग को बढ़ावा देना और अखंडता का सम्मान करना शामिल है।
चीन ने तोड़ा था समझौता
चीनी सरकार ने भारत के खिलाफ सन 1962 में एकतरफा युद्ध की घोषणा कर दी थी। चीन ने भारत को धोखा देते हुए पंचशील को थोड़ा था। चीन ने जब भारत के खिलाफ युद्ध का ऐलान था तो इस युद्ध के लिए ना तो भारत की सेना तैयार थी और ना सरकार ने इसकी कल्पना की थी। इसका परिणाम यह हुआ कि चीन ने भारत की जमीन का बहुत बड़ा हिस्सा अपने कब्जे में कर लिया था।
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