डेस्क। दिल्ली। उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) उन याचिकाओं पर जल्द सुनवाई कर सकता है, जिनमें धार्मिक स्थलों पर दावा पेश करने पर रोक संबंधी 1991 के अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों की वैधता को चुनौती भी दी गई है।
इसी कड़ी में संबंधित कानून के अनुसार, धार्मिक स्थलों के 15 अगस्त 1947 के स्वरूप में बदलाव के लिए वाद दाखिल भी नहीं किया जा सकता।
प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की पीठ ने पूर्व राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी सहित छह याचिकाओं को सोमवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध भी किया गया है, जिनमें इस कानून के प्रावधानों को चुनौती भी दी गई है।
वहीं पिछले साल 14 नवंबर को केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह भी कहा था कि केंद्र सरकार की ओर से विस्तृत हलफनामा दाखिल किया जाएगा, जिनमें मामले के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश भी डाला जाएगा। और इसके साथ ही उन्होंने शीर्ष अदालत से और समय देने की गुजारिश भी की थी ताकि सरकार के विभिन्न स्तरों पर इस मुद्दे पर चर्चा भी की जा सके।
वहीं पिछली सुनवाई में पीठ ने कहा था, ”अनुरोध के आधार पर हम 12 दिसंबर तक जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश भी देते हैं। साथ ही जवाबी हलफनामे के प्रति मामले के सभी वादियों को दी जाए।”
इसी कड़ी में संबंधित कानून के अनुसार, धार्मिक स्थलों के 15 अगस्त 1947 के स्वरूप में बदलाव के लिए वाद दाखिल भी नहीं किया जा सकता।
प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की पीठ ने पूर्व राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी सहित छह याचिकाओं को सोमवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध भी किया गया है, जिनमें इस कानून के प्रावधानों को चुनौती भी दी गई है।
वहीं पिछले साल 14 नवंबर को केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह भी कहा था कि केंद्र सरकार की ओर से विस्तृत हलफनामा दाखिल किया जाएगा, जिनमें मामले के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश भी डाला जाएगा। और इसके साथ ही उन्होंने शीर्ष अदालत से और समय देने की गुजारिश भी की थी ताकि सरकार के विभिन्न स्तरों पर इस मुद्दे पर चर्चा भी की जा सके।
वहीं पिछली सुनवाई में पीठ ने कहा था, ”अनुरोध के आधार पर हम 12 दिसंबर तक जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश भी देते हैं। साथ ही जवाबी हलफनामे के प्रति मामले के सभी वादियों को दी जाए।”
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