लखनऊ। योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार ने अपनी भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की नीति के तहत एक बार फिर DHFL मामले में बड़ी कार्रवाई की है।
इसी क्रम में रविवार को सीएम योगी ने ऊर्जा विभाग में 45000 कर्मचारियों के 2268 करोड़ रुपये के पीएफ घोटाला मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की सिफारिश की है।
सीएम ने सीबीआई जांच कराने का पत्र केंद्र सरकार को भेज दिया है, साथ ही पूरे मामले की जांच डीजी ईओडब्ल्यू करेंगे। इससे पहले शनिवार को UPPCL कर्मियों का पीएफ DHFL में जमा कराने वाले तत्कालीन निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी और महानिदेशक पी.के. गुप्ता के खिलाफ न सिर्फ FIR दर्ज करा दी है, बल्कि पुलिस ने दोनों को तत्काल गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
उप्र भाजपा सरकार ने राज्य के पॉवर कार्पोरेशन के कर्मियों की भविष्य निधि का पैसा डिफाल्टर कंपनी में फंसा दिया है। किसका हित साधने के लिए कर्मचारियों की 2000 करोड़ से भी ऊपर की गाढ़ी कमाई इस तरह की कम्पनी में लगा दी गई? कर्मचारियों के भविष्य के ये खिलवाड़ क्या जायज है?
बता दें कि एक संदिग्ध फैसले में राज्य के स्वामित्व वाली यूपी पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने मुंबई स्थित दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड में कथित तौर पर 2,600 करोड़ रुपए से अधिक के अपने कर्मचारियों के फंड का निवेश किया है। खास बात है कि कंपनी के प्रमोटरों को हाल में ही ईडी ने इकबाल मिर्ची की एक फ्रंट कंपनी के साथ उनके कथित संबंधों के लिए पूछताछ की थी। इकबाल मिर्ची अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम कास्कर का करीबी था।
मामले में यूपी के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने ट्वीट कर कहा, कर्मचारियों की भविष्य निधि के निवेश का मामला गंभीर है। इसमें जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सभी कार्मिक मेरे परिवार के सदस्य हैं, किसी का कोई अहित ना हो सरकार यह सुनिश्चित करेगी
इसी बीच कांग्रेस नेता और पूर्वी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस प्रभारी प्रियंका गांधी ने एक और ट्वीट कर कहा, उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के कर्मचारियों की जिंदगी भर की कमाई भाजपा सरकार में दागी कंपनी में निवेश करके फंसा दी। चुनाव के दौरान मुझे तमाम सरकारी कर्मचारियों ने मिलकर नई पेंशन स्कीम को लेकर अपनी चिंता बताई थी। आज उनके शक जायज साबित हो रहे हैं।
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